ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi)
पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीन हाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गर्मी को वापस जाने से रोकता है यह एक प्रकार के प्रभाव है जिसे “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है । इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के फलस्वरूप पर्यावरण प्रभावित होता है अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है।
ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Global Warming in Hindi, Global Warming par Nibandh Hindi mein)
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (250 – 300 शब्द).
पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लो पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
जीवाश्म ईंधन के दोहन, उर्वरकों का उपयोग, वनों को कांटना, बिजली की अत्यधिक खपत, फ्रिज में उपयोग होने वाले गैस इत्यादि के कारणवश वातावरण में CO2, CO का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है।CO2 के स्तर में बढ़ोत्तरी “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” का कारक है, जो सभी ग्रीन हाउस गैस (जलवाष्प, CO2, मीथेन, ओजोन) थर्मल विकरण को अवशोषित करता है, तथा सभी दिशाओं में विकीर्णं होकर और पृथ्वी के सतह पर वापस आ जाते हैं जिससे सतह का तापमान बढ़ कर ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण बनता है।
ग्लोबल वार्मिंग का निवारण
हमें पेड़ो की अन्धाधुन कटाई पर रोक लगाना चाहिए, बिजली का उपयोग कम करना चाहिए, लकड़ी को जलाना बंद करना चाहिए आदि।ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें सदैव के लिए बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए क्योंकी यह CO2, COके स्तर में वृद्धि कर रहा है और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming par Nibandh (400 शब्द)
आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी पर्यावरण समस्या है जिसका हम सब सामना कर रहे हैं, तथा जिसका समाधान स्थायी रूप से करना आवश्यक हो गया है। वास्तव में पृथ्वी के सतह पर निरंतर तथा स्थायी रूप से तापमान का बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग प्रक्रिया है। सभी देशों द्वारा विश्व स्तर पर इस विषय पर व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए। यह दशकों से प्रकृति के संतुलन, जैव विविधता तथा जलवायु परिस्थियों को प्रभावित करता आ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारक
ग्रीन हाउस गैस जैसे CO 2 , मीथेन, पृथ्वी पर बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग मुख्य कारक हैं। इसका सीधा प्रभाव समुद्री स्तर का विस्तार, पिघलती बर्फ की चट्टाने, ग्लेशियर, अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन पर होता है, यह जीवन पर बढ़ते मृत्यों के संकट का प्रतिनिधित्व करता है। आकड़ों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा है की मानव जीवन के बढ़ते मांग के कारण बीसवीं शताब्दी के मध्य से तापमान में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी आयी है जिसके फलस्वरूप वैश्विक स्तर पर वायुमंडलीय ग्रीन हाउस गैस सांद्रता के मात्रा में भी वृद्धि हुई है।
पिछली सदी के 1983, 1987, 1988, 1989, और 1991 सबसे गर्म छ: वर्ष रहे हैं, यह मापा गया है। इसने ग्लोबल वार्मिंग में अत्यधिक वृद्धि किया जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं का अनपेक्षित प्रकोप सामने आया जैसे- बाढ़, चक्रवात, सुनामी, सूखा, भूस्खलन, भोजन की कमी, बर्फ पिघलना, महामारी रोग, मृत्यों आदि इस कारणवश प्रकृति के घटना चक्र में असंतुलन उत्पन्न होता है जो इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के समाप्ति का संकेत है।
ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण, पृथ्वी से वायुमंडल में जल-वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे बादल में ग्रीन हाउस गैस का निर्माण होता है जो पुनः ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। जीवाश्म ईंधन का जलना, उर्वरक का उपयोग, अन्य गैसों मे वृद्धि जैसे- CFCs, ट्रोपोस्फेरिक ओजोन, और नाइट्रस ऑक्साइड भी ग्योबल वार्मिंग के कारक हैं। तकनीकी आधुनीकरण, प्रदुषण विस्फोट, औद्योगिक विस्तार के बढ़ते मांग, जंगलों की अन्धाधुन कटाई तथा शहरीकरण ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि में प्रमुख रूप से सहायक हैं।
हम जंगल की कटाई तथा आधुनिक तकनीक के उपयोग से प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विक्षुब्ध (Disturb) कर रहे हैं। जैसे वैश्विक कार्बन चक्र, ओजोन के परत में छेद्र बनना तथा UV तंरगों का पृथ्वी पर आगमन जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।
हवा से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने का एक मुख्य स्त्रोत पेड़ है। तथा पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए हमें वनों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा वृक्षारोपड़ किया जाना चाहिए यह ग्लोबल वार्मिंग के स्तर में अत्यधिक कमी ला सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण तथा विनाशकारी प्रोद्यौगिकियों का कम उपयोग भी एक अच्छी पहल है, ग्लोबल वार्मिंग नियंत्रण के लिए।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming per Nibandh (600 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारक हैं, जिसमें कुछ प्रकृति प्रदत्त हैं तथा कुछ मानव निर्मित कारक हैं, ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के सबसे प्रमुख कारकों में ग्रीन हाउस गैस है जो कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं व मानवीय क्रियाओं से उत्पन्न होता है। बीसवीं शताब्दी में, जनसंख्या वृद्धि, ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग से ग्रीन हाउस गैस के स्तर में वृद्धि हुई है। लगभग हर जरूरत को पूरा करने के लिए आधुनिक दुनिया में औद्योगीकरण की बढ़ती मांग, जिससे वातावरण में विभिन्न तरह के ग्रीन हाउस गैस की रिहाई होती है।
कार्बन डाइऑक्साइड CO 2 तथा सल्फर डाइऑक्साइड SO 2 की मात्रा हाल ही के वर्षों में दस गुना बढ़ गई है। विभिन्न प्राकृतिक, औद्योगिक क्रियाएं जिसमें प्रकाश संश्लेषण और ऑक्सीकरण भी सम्मिलित है, इन सब से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती है। अन्य ग्रीन हाउस गैस मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड (नाइट्रस आक्साइड), हॉलोकार्बन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs), क्लोरीन और ब्रोमीन यौगिक इत्यादि कार्बनिक सामाग्री का अवायवीय अपघटन है। कुछ ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में एकत्र होते है और वायुमंडल के संतुलन को विक्षुब्ध करते हैं। उन में गर्म विकरणों को अवशोंषित करने की क्षमता होती है और इसलिए पृथ्वी के सतह पर तापमान में वृद्धि होती है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के स्त्रोतों में वृद्धि से साफ तौर पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव देखा जा सकता है। US भूगर्भीय सर्वेक्षण (US Geological Survey) के अनुसार मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क पर 150 ग्लेशियर मौजुद थे पर ग्लोबल वार्मिंग के वजह से वर्तमान में मात्र 25 ग्लेशियर बचे हैं। अधिक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन तथा तापमान से ऊर्जा (वायुमंडल के उपरी सतह पर ठंडा तथा ऊष्णकटिबंधीय महासागर के गर्म होने से) लेकर तूफान अधिक खतरनाक, शक्तिशाली और मजबूत बन जाते हैं। 2012 को 1885 के बाद सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया है तथा 2003 को 2013 के साथ सबसे गर्म वर्ष के रूप में देखा गया है।
ग्लोबल वार्मिंग के फलस्वरूप वातावरण के जलवायु में, बढ़ती गर्मी का मौसम, कम होता ठंड का मौसम, बर्फ के चट्टानों का पिघलना, तापमान का बढ़ना, हवा परिसंचरण पैटर्न में बदलाव, बिन मौसम के वर्षा का होना, ओजोन परत में छेद्र, भारी तूफान की घटना, चक्रवात, सूखा, बाढ़ और इसी तरह के अनेक प्रभाव हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का समाधान
सरकारी एजेंसियों, व्यवसाय प्रधान, निजी क्षेत्र, NGOs आदि द्वारा बहुत से कार्यक्रम, ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए चलाएं तथा क्रियान्वित किए जा रहे हैं। ग्लोबल वर्मिंग के वजह से पहुचने वाले क्षति में कुछ क्षति ऐसे हैं (बर्फ की चट्टानों का पिघलना) जिसे किसी भी समाधान के माध्यम से पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जो भी हो हमें रूकना नहीं चाहिए और सबको बेहतर प्रयास करना चाहिए ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए। हमें ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम करना चाहिए तथा वातावरण में हो रहे कुछ जलवायु परिवर्तन जो वर्षों से चला आ रहा है उन्हें अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग कम करने के उपाय, हमें बिजली के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा भू-तापिय ऊर्जा द्वारा उत्पादित ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। कोयला, तेल के जलने के स्तर को कम करना चाहिए, परिवहन और ईलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग कम चाहिए इससे ग्लोबल वार्मिंग का स्तर काफी हद तक कम होगा।
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ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से अधिकांश के लिए स्पष्ट नहीं है। तो, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वातावरण के समग्र तापमान में क्रमिक वृद्धि को संदर्भित करता है। विभिन्न गतिविधियां हो रही हैं जो धीरे-धीरे तापमान बढ़ा रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है। यह धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है। ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौतीपूर्ण है; हालाँकि, यह असहनीय नहीं है। किसी भी समस्या को हल करने में पहला कदम समस्या के कारण की पहचान करना है। इसलिए, हमें पहले ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को समझने की आवश्यकता है जो हमें इसे हल करने में आगे बढ़ने में मदद करेंगे। ग्लोबल वार्मिंग पर इस निबंध में, हम ग्लोबल वार्मिंग के कारणों और समाधानों को देखेंगे।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन गई है जिस पर अविभाजित ध्यान देने की आवश्यकता है। यह किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई कारणों से हो रहा है। ये कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों हैं। प्राकृतिक कारणों में ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई शामिल है जो पृथ्वी से भागने में सक्षम नहीं हैं, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
इसके अलावा, ज्वालामुखी विस्फोट भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। यह कहना है कि, इन विस्फोटों से कार्बन डाइऑक्साइड के टन निकलते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं। इसी तरह, मीथेन भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार एक बड़ा मुद्दा है।
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उसके बाद, ऑटोमोबाइल और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, खनन और पशु पालन जैसी गतिविधियाँ पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। सबसे आम मुद्दों में से एक है जो तेजी से हो रहा है वनों की कटाई।
इसलिए, जब कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक ही गायब हो जाएगा, तो गैस को विनियमित करने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा। इस प्रकार, यह ग्लोबल वार्मिंग में परिणाम देगा। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और धरती को फिर से बेहतर बनाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग समाधान
जैसा कि पहले कहा गया है, यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन यह पूरी तरह से असंभव नहीं है। जब संयुक्त प्रयास किए जाते हैं तो ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है। इसके लिए, व्यक्तियों और सरकारों, दोनों को इसे प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। हमें ग्रीनहाउस गैस की कमी से शुरू करना चाहिए।
इसके अलावा, उन्हें गैसोलीन की खपत पर नजर रखने की जरूरत है। एक हाइब्रिड कार पर स्विच करें और कार्बन डाइऑक्साइड की रिहाई को कम करें। इसके अलावा, नागरिक सार्वजनिक परिवहन या कारपूल को एक साथ चुन सकते हैं। इसके बाद, रीसाइक्लिंग को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है?
उदाहरण के लिए, जब आप खरीदारी करने जाते हैं, तो अपने कपड़े की थैली ले जाएं। एक और कदम जो आप उठा सकते हैं वह है बिजली के उपयोग को सीमित करना जो कार्बन डाइऑक्साइड की रिहाई को रोक देगा। सरकार के हिस्से पर, उन्हें औद्योगिक कचरे को नियंत्रित करना चाहिए और उन्हें हवा में हानिकारक गैसों को बाहर निकालने से रोकना चाहिए। वनों की कटाई को तुरंत रोका जाना चाहिए और पेड़ों के रोपण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
संक्षेप में, हम सभी को इस तथ्य का एहसास होना चाहिए कि हमारी पृथ्वी ठीक नहीं है। इसका इलाज करने की जरूरत है और हम इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं। वर्तमान पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ियों की पीड़ा को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसलिए, हर छोटा कदम, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैसे छोटा वजन बहुत वहन करता है और ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में काफी महत्वपूर्ण है।
ग्लोबल वार्मिंग पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न Q.1 ग्लोबल वार्मिंग के कारणों की सूची बनाएँ।
A.1 प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारण हैं। प्राकृतिक एक में ग्रीनहाउस गैस, ज्वालामुखी विस्फोट, मीथेन गैस और बहुत कुछ शामिल हैं। अगला, मानव निर्मित कारण वनों की कटाई, खनन, मवेशी पालन, जीवाश्म ईंधन जलाना और अधिक हैं।
Q.2 ग्लोबल वार्मिंग को कोई कैसे रोक सकता है?
A.2 ग्लोबल वार्मिंग को व्यक्तियों और सरकार के संयुक्त प्रयास से रोका जा सकता है। वनों की कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए और पेड़ों को अधिक लगाया जाना चाहिए। ऑटोमोबाइल का उपयोग सीमित होना चाहिए और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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Hindi Essay on “Global Warming”, “ग्लोबल वार्मिंग”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.
ग्लोबल वार्मिंग
Global Warming
‘ग्लोबल वार्मिंग’ का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोत्तरी वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ने लगा है। इसके परिणामस्वरूप ओजोन परत में छेद होने के कारण तापमान में वृधि हुई है। ओजोन परत कछुए के कवच की भाँति पृथ्वी के लिए एक कवच का कार्य करती है जो सूर्य। की पराबैंगनी किरणों को धरती पर आने से रोकती है। परंतु ओजोन परत में छेद होने के कारण धरती का तापमान बढ़ने लगा जिससे अनेक रोगों का खतरा बढ़ने लगा है और कई प्राकृतिक आपदाएँ भी मुँहबाए खड़ी हैं, जैसे- बाढ़, सूखा, हिमक्षरण आदि। ग्लोबल वार्मिंग से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे है। बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे हैं जिससे धरती का जल स्तर बढ़ने लगा है। इसी के परिणामस्वरूप एक समय में समुद्र के किनारे बसने वाले नगर जलमग्न हो जाएँगे । इस समस्या से निपटने के लिए जीवाश्म ईधनों का प्रयोग कम करना होगा। वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत तलाशने होंगे। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स की मात्रा पर रोक लगानी होगी। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा, वन-संरक्षण के लिए सभी देशों को मिल-जुल कर कार्य करना होगा।
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ग्लोबल वार्मिंग क्या है? हम पर इसका क्या असर होता है?
वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और भयंकर बारिश हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान में वृद्धि क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दर्शाता है। 1880 के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। ग्लोबल वार्मिंग एक सतत प्रक्रिया है, वैज्ञानिकों को आशंका है कि 2035 तक औसत वैश्विक तापमान अतिरिक्त 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग का क्या कारण है?
कुछ गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पृथ्वी के वातावरण में सूरज की गर्मी को अपने अंदर रोकती हैं। ये ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से भी मौजूद हैं।
मानव गतिविधियों, विशेष रूप से बिजली वाहनों, कारखानों और घरों में जीवाश्म ईंधन (यानी, कोयला, प्राकृतिक गैस, और तेल) के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है। पेड़ों को काटने सहित अन्य गतिविधियां भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं।
वायुमंडल में इन ग्रीनहाउस गैसों की उच्च सांद्रता पृथ्वी पर अधिक गर्मी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के पीछे मानव गतिविधियां मुख्य है।
क्या जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग से अलग है?
एनवायर्नमेंटल एंड एनर्जी स्टडीज इंस्टीट्यूट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का उपयोग अक्सर एक-दूसरे के लिए किया जाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन मोटे तौर पर औसत मौसम (जैसे, तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा, वायुमंडलीय दबाव, समुद्र के तापमान, आदि) में लगातार परिवर्तन करने के लिए जाना जाता है जबकि ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि करने के लिए जाना जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक मौसम, तूफान, लू, सूखे और बाढ़ से क्या लेना- देना है?
वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और बारिश कर सकता है, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो सकता है।
बढ़ी हुई वर्षा से कृषि को लाभ हो सकता है, लेकिन एक ही दिन में अधिक तीव्र तूफानों के रूप में वर्षा होने से, फसल, संपत्ति, बुनियादी ढांचे को नुकसान होता है और प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन का भी नुकसान हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री सतह का तापमान भी बढ़ जाता है क्योंकि पृथ्वी के वातावरण की अधिकांश गर्मी समुद्र द्वारा अवशोषित हो जाती है। गर्म समुद्री सतह के तापमान के कारण तूफान का बनना आसान हो जाता है। मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग के कारण, यह आशंका जताई जाती है कि तूफान से वर्षा की दर बढ़ेगी, तूफान की तीव्रता बढ़ जाएगी और श्रेणी 4 या 5 के स्तर तक पहुंचने वाले तूफानों का अनुपात बढ़ जाएगा।
बढ़ते समुद्र के स्तर से ग्लोबल वार्मिंग का क्या लेना- देना है?
ग्लोबल वार्मिंग दो मुख्य तरीकों से समुद्र के जल स्तर को बढ़ाने में योगदान देता है। सबसे पहले, गर्म तापमान के कारण ग्लेशियर और भूमि-आधारित बर्फ की चादरें तेजी से पिघलती हैं, जो जमीन से समुद्र तक पानी ले जाती हैं। दुनिया भर में बर्फ पिघलाने वाले क्षेत्रों में ग्रीनलैंड, अंटार्कटिक और पहाड़ के ग्लेशियर शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन 2019 अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग की वजह 2100 तक 80 फीसदी ग्लेशियर पिघल कर सिकुड़ सकते हैं।
दूसरा, गरमी-संबंधी (थर्मल) विस्तार, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा गर्म पानी अधिक जगह लेता है, जिसके कारण समुद्र का आयतन बढ़ जाता है, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है।
अन्य कारक समुद्र के स्तर को प्रभावित करते हैं और इन सभी कारकों के संयोजन से पूरे ग्रह में समुद्र के स्तर में वृद्धि की अलग-अलग दर होती है। स्थानीय कारक जो समुद्र के स्तर को कुछ क्षेत्रों में तेजी से बढ़ने का कारण बन सकते हैं, उनमें समुद्र की धाराएं और डूबती हुई जमीन की सतह आदि शामिल हैं।
1880 के बाद से, वैश्विक औसत समुद्री स्तर में आठ से नौ इंच की वृद्धि हुई है। कम उत्सर्जन वाले परिदृश्य के तहत, मॉडल परियोजना है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि सदी के अंत तक 2000 के स्तर से लगभग एक फुट ऊपर हो जाएगी। एक उच्च-उत्सर्जन परिदृश्य के तहत, समुद्र का स्तर 2100 तक 2000 के स्तर से आठ फीट से अधिक बढ़ सकता है।
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Global Warming Essay in English and Hindi for Kids
Global warming Essay: Global warming is a serious threat to our environment. It is being exacerbated by rapid industrialization, population growth, and pollution. Check Global warming essay in details
Table of Contents
Global Warming Essay
Global warming is a serious threat to our environment that we are now dealing with. Global warming is being exacerbated by rapid industrialization, population growth, and pollution. The increase in the average temperature of the earth’s surface during the last century is referred to as global warming. One of the reasons that global warming is problematic is that it disrupts the planet’s general ecology. Floods, starvation, cyclones, and other natural disasters are the outcome. This warming has various causes and consequences, and it poses a threat to life on Earth.
Global warming, which is caused by greenhouse gases that trap solar radiation in the atmosphere, has the potential to alter the whole map of the globe, displacing people, flooding numerous countries, and eliminating a wide range of lifeforms. Extreme weather is a direct result of global warming, but it is far from the only one. Global warming has an almost infinite number of repercussions, all of which are destructive to life on Earth.
The global sea level is rising at a rate of 0.12 inches per year. This is due to the melting of polar ice caps as a result of global warming. Flooding has become more common in many low-lying locations, causing harm to coral reefs.
The quality of the air has deteriorated, and the acidity of the ocean has risen, causing serious damage to marine life. Global warming has resulted in severe natural disasters, which have had disastrous consequences for human life and property.
When everyone works together, global warming can be controlled. Individuals and governments must both take initiatives toward realising this goal. We must start by reducing greenhouse gas emissions.
Switching to a hybrid vehicle can help to cut CO2 emissions. Furthermore, individuals have the option of taking public transportation or carpooling. As a result, recycling must be encouraged.
We must all acknowledge that our planet is in bad shape. It requires treatment, and we can assist in its recovery. To prevent future generations from suffering, the current generation must take responsibility for halting global warming. Every tiny step, no matter how insignificant, will be a step towards protecting our earth from global warming.
Global Warming Essay for Kids
Introduction: Global warming is a significant environmental issue that affects our planet. It happens when the Earth’s temperature increases because of human activities. As young caretakers of the Earth, we must understand global warming and take steps to protect our planet for a bright and sustainable future.
- What is Global Warming?: Global warming occurs when certain gases, known as greenhouse gases, trap heat in the Earth’s atmosphere. These gases come from burning fossil fuels like coal, oil, and gas, as well as from deforestation. As a result, the Earth’s temperature is increasing, causing many problems for our environment.
- Causes of Global Warming: The main causes of global warming are human activities. When we use cars, factories, and machines that burn fossil fuels, they release greenhouse gases into the air. Trees help absorb these gases, but deforestation means fewer trees to do this essential job.
- Effects on Our Planet: Global warming has various effects on our planet. It leads to melting ice caps and glaciers, causing sea levels to rise and flooding coastal areas. Animals and plants struggle to adapt, and some may even become endangered or extinct. Extreme weather events like hurricanes and heat waves become more frequent and severe.
- How Can We Help?: As kids, we can play a vital role in fighting global warming. We can start by conserving energy at home, turning off lights and appliances when not in use. We should also encourage our family and friends to use renewable energy sources like solar and wind power. Planting trees in our neighborhoods and schools can help reduce greenhouse gases. It’s essential to recycle and reduce waste to limit the amount of harmful gases produced. By adopting these simple practices, we can contribute to a healthier and greener planet.
Conclusion: Global warming is a real and urgent issue that affects our planet. As young stewards of the Earth, it’s our responsibility to take action and protect our environment. By understanding the causes and effects of global warming and making eco-friendly choices, we can make a positive difference and ensure a beautiful Earth for generations to come.
Global Warming Essay for UPSC
Introduction: Global warming, an alarming consequence of human activities, has emerged as one of the most pressing challenges of the 21st century. The current situation of the world is marred by rising global temperatures, melting polar ice caps, extreme weather events, and the exacerbation of natural disasters. This essay examines the grave implications of global warming and the urgent need for collective action to combat its devastating effects.
- Evidences of Global Warming: The current situation is characterized by undeniable evidence of global warming. Scientists observe a steady increase in the Earth’s average temperature over the past century, primarily caused by human-induced greenhouse gas emissions from burning fossil fuels, deforestation, and industrial activities. Rising sea levels, receding glaciers, and frequent heat waves are clear indicators of this impending crisis. Furthermore, the occurrence of extreme weather events like hurricanes, droughts, and wildfires has become more frequent and intense, wreaking havoc on communities and ecosystems worldwide.
- Impact on Environment: Global warming’s adverse effects on the environment are evident in the changing patterns of ecosystems and biodiversity loss. As temperatures rise, many plant and animal species struggle to adapt or face extinction, causing an imbalance in ecological systems. Coral reefs, vital marine ecosystems, are bleaching and dying due to warmer ocean temperatures. The shrinking polar ice caps and glaciers not only lead to rising sea levels but also disrupt weather patterns, further intensifying extreme weather events. Additionally, changing rainfall patterns can lead to severe water scarcity in certain regions, exacerbating conflicts over natural resources.
- Socio-economic Impact: Global warming is not just an environmental issue; it poses significant socio-economic challenges. Impacts on agriculture result in reduced crop yields and food insecurity, disproportionately affecting developing countries and vulnerable communities. The increasing frequency of extreme weather events causes damage to infrastructure, loss of lives, and economic setbacks. Developing nations bear the brunt of these consequences, impeding their progress and exacerbating poverty. Moreover, climate-induced migration becomes a reality, leading to potential conflicts over resources and strained international relations.
- Mitigation and Adaptation: Addressing global warming requires a two-pronged approach: mitigation and adaptation. Mitigation involves reducing greenhouse gas emissions through renewable energy adoption, energy efficiency, and sustainable practices. Governments, businesses, and individuals must collaborate to transition towards a low-carbon economy. Simultaneously, adaptation measures should be employed to prepare for the inevitable impacts of global warming. Investment in resilient infrastructure, disaster management, and sustainable agricultural practices is crucial to safeguard vulnerable communities.
In conclusion, global warming poses a grave threat to the current world. The evidence of rising temperatures, environmental disruptions, and socio-economic challenges demands immediate and collaborative action. Only through global cooperation, stringent environmental policies, and sustainable practices can we avert the worst consequences of global warming and secure a safer future for generations to come. The time for action is now.
Global Warming Essay in Hindi
ग्लोबल वार्मिंग हमारे पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है जिससे हम सब निपट रहे हैं। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। पिछली शताब्दी के दौरान पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के समस्याग्रस्त होने का एक कारण यह है कि यह ग्रह की सामान्य पारिस्थितिकी को बाधित करता है। बाढ़, भुखमरी, चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ इसके परिणाम हैं। इस वार्मिंग के विभिन्न कारण और परिणाम हैं।
ग्लोबल वार्मिंग, जो वातावरण में सौर विकिरण को फंसाने वाली ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, दुनिया के पूरे मानचित्र को बदलने, लोगों को विस्थापित करने, कई देशों में बाढ़ लाने और जीवन रूपों की एक विस्तृत श्रृंखला को समाप्त करने में सक्षम है। ग्लोबल वार्मिंग के लगभग अनंत परिणाम हैं, जो सभी पृथ्वी पर जीवन के लिए विनाशकारी हैं।
वैश्विक समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 0.12 इंच की दर से बढ़ रहा है। यह ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के कारण है। कई निचले इलाकों में बाढ़ आम हो गई है, जिससे प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुंचा है।
हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है, और समुद्र की अम्लता बढ़ गई है, जिससे समुद्री जीवन को गंभीर नुकसान हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण गंभीर प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं, जिनके मानव जीवन और संपत्ति के लिए विनाशकारी परिणाम हुए हैं।
जब सब मिलकर काम करें तो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित किया जा सकता है। व्यक्तियों और सरकारों दोनों को इस लक्ष्य को साकार करने की दिशा में पहल करनी चाहिए। हमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके शुरुआत करनी चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को पीड़ित होने से रोकने के लिए, वर्तमान पीढ़ी को ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हर छोटा कदम, चाहे कितना भी महत्वहीन क्यों न हो, हमारी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने की दिशा में एक कदम होगा।
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What do you mean by global warming?
The increase in the average temperature of the earth's surface during the last century is referred to as global warming. Global warming disrupts the planet's general ecology.
What causes global warming?
Global warming is a type of climate change that refers to the rise in global temperatures over time. Increased levels of greenhouse gases in the atmosphere, primarily from human activities such as the burning of fossil fuels, deforestation, and farming, cause it.
What can we do to avert global warming?
To begin, we must reduce greenhouse gas emissions. Making the switch to a hybrid car can help reduce CO2 emissions. Individuals might choose to travel by public transit or carpool. Recycling should be promoted.
What is the impact of global warming on the environment?
Temperature rise, water shortages, increasing fire dangers, drought, weed and pest invasions, significant storm damage, and salt invasion are just a few of the effects of global warming on ecosystems.
Are there any advantages to global warming?
Fewer winter mortality, cheaper energy costs, improved agricultural yields, perhaps fewer droughts, and possibly richer biodiversity can be counted as the benefits of global warming.
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- UPSC FAQs /
Global Warming in Hindi : जानिये जलवायु परिवर्तन क्या है और इसके कारण
- Updated on
- अगस्त 29, 2023
प्रतियोगी परीक्षाओं में करंट अफेयर्स से जुड़े क्वेश्चन पूछे जाते हैं, क्योंकि करंट अफेयर्स का उद्देश्य मनुष्य की समझ को विस्तार करना है। UPSC में प्री और मेंस एग्जाम के अलावा इंटरव्यू का भी महत्वपूर्ण रोल है, इसलिए कैंडिडेट्स को रोजाना हो रहीं आसपास और देश-दुनिया की घटनाओं को समझना होगा। आज हम इस ब्लाॅग Global Warming in Hindi में जलवायु परिवर्तन क्या है और इसके कारणों के बारे में जानेंगे, जिसे आप अपनी तैयारी में जोड़ सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग यानी जलवायु परिवर्तन (Global Warming in Hindi) को तापमान और मौसम होने वाले परिवर्तन से जोड़ा जाता है। वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसतन तापमान में होने वाली वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन कहते हैं। ग्लेशियरों का पिघलना और समुद्री जलस्तर बढ़ना भी ग्लोबल वार्मिंग का असर है। कुछ रिसर्च और रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है।
यह भी पढ़ें- ग्लोबल वार्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है जानिए इन निबंधों के द्वारा
जलवायु परिवर्तन के कारण क्या हैं?
Global Warming in Hindi जानने के साथ इसके कारण भी समझना आवश्यक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यहां बताए जा रहे हैंः
- गैसों का उत्सर्जन- विनिर्माण और उद्योग उत्सर्जन का उत्पादन करते हैं। निर्माण उद्योग की तरह खनन और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाएं भी गैसें छोड़ती हैं। विनिर्माण प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली मशीनें अक्सर कोयला, तेल या गैस पर चलती हैं; और कुछ सामग्रियां, जैसे प्लास्टिक, जीवाश्म ईंधन से प्राप्त रसायनों से बनाई जाती हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वजह से जलवायु काफी परिवर्तित हो रही है।
- वनों की कटाई- खेतों या चरागाहों के निर्माण के लिए या अन्य कारणों से जंगलों को काटने से उत्सर्जन होता है, क्योंकि जब पेड़ों को काटा जाता है, तो वह अपने द्वारा संग्रहीत कार्बन छोड़ते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल लगभग 12 मिलियन हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाते हैं। वनों की कटाई, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग एक चौथाई के लिए जिम्मेदार है।
- परिवहन का ज्यादा उपयोग- अधिकांश कारें, ट्रक, जहाज और विमान जीवाश्म ईंधन पर चलते हैं। यह परिवहन को ग्रीनहाउस गैसों, विशेषकर कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन का एक प्रमुख कारण है। जहाजों और विमानों से उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
- भोजन उत्पादन (फूड मैन्युफैक्चरिंग) में गैसों का उत्सर्जन- भोजन के उत्पादन में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का कारण शामिल है। जीवाश्म ईंधन के साथ कृषि उपकरण या मछली पकड़ने वाली नौकाओं को चलाने के लिए ऊर्जा का उपयोग। यह सब भोजन उत्पादन यानी फूड मैन्युफैक्चरिंग को जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण बनाता है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भोजन की पैकेजिंग और वितरण से भी होता है।
- बिजली खपत- विश्व स्तर पर आवासीय और व्यावसायिक बिल्डिंग आधी से अधिक बिजली की खपत करती हैं। ये बिल्डिंग हीटिंग और कूलिंग के लिए कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का उपयोग करती हैं, इसलिए काफी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्या हैं?
Global Warming in Hindi जानने के साथ इसके प्रभाव भी समझना आवश्यक है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव यहां बताए जा रहे हैंः
- ग्लेशियरों के गायब होने, जल्दी बर्फ पिघलने और गंभीर सूखे के कारण पानी की अधिक कमी हो जाएगी और जंगलों में आग का खतरा बढ़ता रहेगा।
- गर्मी बढ़ेगी और बीते कुछ वर्षों में देखा जा सकता है कि सभी भूमि क्षेत्रों में अधिक गर्म दिन और लू चल रही है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की उपलब्धता बदल रही है, जिससे अधिक क्षेत्रों में इसकी कमी हो रही है।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण पहले से ही पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी की कमी हो गई है और इससे कृषि सूखे का खतरा बढ़ गया है, जिससे फसलों पर असर पड़ रहा है।
- ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ती गर्मी से बीमारियों का खतरा अधिक होता है और बाहर काम करना कठिन बन जाता है।
- समुद्र का स्तर बढ़ने से पूर्वी समुद्री तटों पर और खाड़ी जैसे अन्य क्षेत्रों में और भी अधिक तटीय बाढ़ आ जाएगी।
- जंगलों, खेतों और शहरों को परेशान करने वाले नए कीटों, भारी बारिश और बढ़ती बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। ये सभी कृषि और मत्स्य पालन को नुकसान पहुंचा सकते हैं या नष्ट कर सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन मूंगा चट्टानों और अल्पाइन घास के मैदानों, जैसे- आवासों का विघटन, कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने की ओर ले जा सकता है।
- पराग-उत्पादक रैगवीड की बढ़ती वृद्धि, वायु प्रदूषण के उच्च स्तर और रोगजनकों और मच्छरों के लिए अनुकूल स्थितियों के प्रसार के कारण एलर्जी, अस्थमा और संक्रामक रोग का प्रकोप अधिक हो जाएगा।
जब किसी क्षेत्र विशेष के औसतन मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
भारत में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है और इससे कई नुकसान हैं।
एनवायरोमेंट में गैसों के बढ़ने से जलवायु बदल रही है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Global Warming in Hindi की पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu में सीखने की प्रक्रिया जारी है। शुभम को 4 वर्षों का अनुभव है, वह पूर्व में Dainik Jagran और News Nib News Website में कंटेंट डेवलपर रहे चुके हैं। न्यूज, एग्जाम अपडेट्स और UPSC में करंट अफेयर्स लगातार लिख रहे हैं। पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद शुभम ने एजुकेशन के अलावा स्पोर्ट्स और बिजनेस बीट पर भी काम किया है। उन्हें लिखने और रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पर फोकस करने के अलावा क्रिकेट खेलना और देखना पसंद है।
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भूमंडलीय ऊष्मीकरण पर निबंध| Essay on Global Warming in Hindi
भूमंडलीय ऊष्मीकरण पर निबंध – An Essay on Global Warming in Hindi – Reason, Result and How to Stop Global Warming (Important Topic for All Classes)
Essay on Global warming in Hindi – हमारी दुनिया को अभी प्रभावित करने वाले सबसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक भूमंडलीय ऊष्मीकरण है, जिसे आमतौर पर जलवायु परिवर्तन के रूप में जाना जाता है। वैश्विक तापमान वास्तव में लगातार बढ़ रहा है , पिघलती बर्फ की टोपियां और समुद्र का स्तर कार्बन डाइऑक्साइड , जैसे कि ग्रीनहाउस गैसों में तेजी से वृद्धि के परिणामस्वरूप बढ़ रहा है। गंभीर मौसम पैटर्न, प्राकृतिक आपदाएं, और पर्यावरणीय गिरावट इन परिवर्तनों से मजबूर हो रही हैं, जो संवेदनशील पारिस्थितिक संतुलन को परेशान कर रहे हैं। ध्रुवीय भालू ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित होने वाले जानवरों में से एक हैं, और यह उनके अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा है। इस संकट को दूर करने के लिए अक्षय ऊर्जा के स्रोतों पर स्विच करना और सतत विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। बढ़ते तापमान के मुद्दे के कारण, निहितार्थ और संभावित समाधान इस निबंध में शामिल किए जाएंगे ।
इस ग्लोबल वॉर्मिंग पर निबंध में हम आज की सबसे जटिल समस्याओं में से एक भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को साँझा कर रहे हैं। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। अतः आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारियाँ आपके लिए सहायक सिद्ध होगी।
- भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग की परिभाषा
भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग का अर्थ
भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण.
- भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव
भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के घातक परिणाम
भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के रोकथाम के उपाय, भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रति जागरूकता.
आज के युग में मनुष्य दिनों-दिन कई तरह की नई-नई तकनीकें विकसित करता आ रहा है। विकास के लिए मनुष्य कई तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसकी वजह से प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में बहुत मुश्किल हो रही है। इन सब के कारण धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनमें से ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत ही भयंकर समस्या है। ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या है । सूरज की रोशनी को लगातार ग्रहण करते हुए हमारी पृथ्वी दिनों-दिन गर्म होती जा रही है, जिससे वातावरण में कॉर्बनडाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। इस समस्या से ना केवल मनुष्य, बल्कि धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुँच रहा है
और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है परंतु यह ग्लोबल वार्मिंग घटने की बजाय निरंतर बढ़ ही रहा है। इस समस्या से निपटने के लिये लोगों को इसका अर्थ, कारण और प्रभाव पता होना चाहिये जिससे जल्द से जल्द इसके समाधान तक पहुँचा जा सके। इससे मुकाबला करने के लिये हम सभी को एक साथ आगे आना चाहिए और धरती पर जीवन को बचाने के लिये इसका समाधान करना चाहिए।
ग्लोबल वॉर्मिंग की परिभाषा – Definition of Global warming
धरती के वातावरण में तापमान के लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। दूसरे शब्दों में – जब वायुमंडल में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तो वायुमंडल के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। तापमान में हुए इस बदलाव को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
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ग्लोबल का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और वॉर्मिंग का अर्थ है ‘गर्म’। भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’। पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं।
ग्रीन हाउस गैस
ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसें हैं । ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं, जो सूर्य से मिल रही गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं । ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसे हम जीवित प्राणी अपनी सांस के साथ उत्सर्जन करते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। दूसरी ग्रीनहाउस गैसें हैं – नाइट्रोजन ऑक्साइड, CFCs क्लोरिन और ब्रोमाईन कम्पाउंड आदि। ये सभी वातावरण में एक साथ मिल जाते हैं और वातावरण के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं। उनके पास गर्म विकीकरण को सोखने की क्षमता है जिससे धरती की सतह गर्म होने लगती है।
वायुमंडल के तापमान में होने वाली लगातार वृद्धि के कारणों में प्रदूषण भी एक कारण है । प्रदूषण कई तरह का होता है – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कई तरह की गैसें बनती जा रही है। ये गैसें ही तापमान वृद्धि का मुख्य कारण है और प्रदुषण इन गैसों को बनने में मदद करता है। See Essay on Pollution in Hindi
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि भी वायुमंडल के तापमान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 90 प्रतिशत योगदान मानवजनित कार्बन उत्सर्जन का है।
शहरीकरण को बढ़ावा देते हुए शहरी इलाकों में कारखाने और कम्पनियाँ लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। जिनसे विषैले पदार्थ, पलास्टिक, रसायन, धुआँ आदि निकलता है। ये सभी पदार्थ वातावरण को गर्म करने का कार्य बखूबी निभाते हैं।
जंगलों की कटाई
मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता रहता है। मनुष्य ने धरती के वातावरण को संतुलित बनाए रखने वाले पेड़-पौधों को काट कर वातावरण को अत्याधिक गर्म कर दिया है , जिसके कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है, समुद्र के इस तरह जल-स्तर बढ़ने से दुनिया के कई हिस्से जल में लीन हो जाएंगे भारी तबाही मचेगी यह किसी विश्व युद्ध या किसी “एस्टेरॉयड” के पृथ्वी से टकराने से होने वाली तबाही से भी ज्यादा भयानक तबाही होगी।यह हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगा।
ओजोन परत में कमी आना
अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है। CFC गैस के बढ़ने से ओजोन परत में कमी आ रही है। ये ग्लोबल वार्मिंग का मानव जनित कारण है। CFC गैस का इस्तेमाल कई जगहों पर औद्योगिक तरल सफाई में एरोसॉल प्रणोदक की तरह और फ्रिज में होता है, जिसके नियमित बढ़ने से ओजोन परत में कमी आती है।
ओजोन परत का काम धरती को नुकसान दायक किरणों से बचाना है। जबकि, धरती के सतह की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना इस बात का संकेत है कि ओजोन परत में क्षरण हो रहा है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वॉइलेट किरणें जीवमंडल में प्रवेश कर जाती है और ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा उसे सोख लिया जाता है जिससे अंतत: ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी होती है।
उर्वरक और कीटनाशक
खेतों में फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उर्वरक और कीटनाशक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। ये केवल मिट्टी को ही प्रदूषित नहीं करते बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों को छोड़ते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार हैं।
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ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
(i) ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं । (ii) बड़े जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है । तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जा रहे है। 1895 के बाद से साल 2012 को सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया है और साल 2003 के साथ 2013 को 1880 के बाद से सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया। (iii) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए है जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ौतरी, ठंडी के मौसम में कमी,तापमान में वृद्धि, वायु-चक्रण के रुप में बदलाव, जेट स्ट्रीम, बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि। (iv) अगर इस तरह से ग्लोबल वार्मिंग बढती रहेगी तो जो भी बर्फीले स्थान है वो पिघल कर अपना अस्तित्व खो देंगे। आजकल गर्मी और अधिक बढती जा रही है और सर्दियों में ठंड कम होती जा रही है। जब हम सर्वे को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। (v) कार्बन-डाइऑक्साइड गैस के बढने की वजह से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है। (vi) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रेगिस्तान का विस्तार होने के साथ-साथ पशु-पक्षियों की कई प्रजातियाँ भी विलुप्त हो रही हैं। (vii) ग्लोबल वार्मिंग के अधिक बढने की वजह से आक्सीजन की मात्रा भी कम होती जा रही है जिसकी वजह से ओजोन परत कमजोर होती जा रही है।
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ग्रीन हाउस गैसें वो गैसें होती हैं, जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे। दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्व युद्ध या किसी ‘ऐस्टेराइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी। हमारे ग्रह पृथ्वी के साथ-साथ मानवीय जीवन के लिये भी यह स्थिति बहुत हानिकारक होगी।
(i) सरकारी एजेंसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, जागरुकता अभियान चलाए जाने चाहिए। जागरूकता के अभियान का काम किसी भी एक राष्ट्र के करने से नहीं होगा इस काम को हर राष्ट्र के द्वारा करना जरूरी है। (ii) ग्लोबल वार्मिंग से बहुत तरह की हानियाँ हुई हैं जिन्हें ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को बढने से रोका जा सकता है जिससे बर्फीले इलाकों को पिघलने से बचाया जा सके। (iii) वाहनों और उद्योगों में हानिकारक गैसों के लिए समाधान किये जाने चाहिए जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सके। (iv) जो चीज़ें ओजोन परत को हानि पहुँचाती हैं उन सभी चीजों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। हमें कुछ उपायों के द्वारा इसे बढने से रोकना होगा। (v) जिन वाहनों से प्रदूषण होता है उन पर रोक लगानी चाहिए। जितना हो सके प्रदूषण करने वाले वहनों का कम प्रयोग करना चाहिए जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। (vi) घर और ऑफिस में कम-से-कम एयर-कंडीशनर का प्रयोग करना चाहिए। एयर-कंडीशनर से निकलने वाली CFC गैसें वायुमंडल को गर्म करती हैं। (vii) पेड़ों की कटाई को रोककर अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने चाहिए। (viii) सामान्य बल्बों की जगह पर कम ऊर्जा की खपत वाले बल्बों का प्रयोग करना चाहिए। (ix) जिन वस्तुओं को नष्ट नहीं किया जा सकता हैं उन्हें रिसाइक्लिंग की सहायता से दुबारा प्रयोग में लाना चाहिए। (x) लाईटों का कम प्रयोग करना चाहिए जब आवश्यकता हो तभी लाईटों का प्रयोग करना चाहिए। बिजली के साधनों का कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए। (xi) गर्म पानी का बहुत ही कम प्रयोग करना चाहिए। (xii) पैकिंग करने वाले प्लास्टिक के साधनों का कम प्रयोग करना चाहिए। (xiii) जितना हो सके स्वच्छ ईंधन का प्रयोग करना चाहिए। (xiv) जल संरक्षण और वायु संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। (xv) हमें वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का कम से कम उत्सर्जन करना चाहिए और उन जलवायु परिवर्तनों को अपनाना चाहिये जो वर्षों से होते आ रहे है। (xvi) बिजली की ऊर्जा के बजाए शुद्ध और साफ ऊर्जा के इस्तेमाल की कोशिश करनी चाहिये अथवा सौर, वायु और जियोथर्मल से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिये। (xvii) तेल जलाने और कोयले के इस्तेमाल, परिवहन के साधनों, और बिजली के सामानों के स्तर को घटाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को घटाया जा सकता है। (xviii) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी देशों को एक-जुट हो कर कानून पारित करना चाहिए। लोगों को इसके परिणामों से अवगत करवाने के लिए सेमीनार करवाने चाहिए, ताकि सभी व्यक्ति इसके घातक परिणामों को जान सके और जागरूक हो सके। ये समस्या किसी एक की नहीं है बल्कि उन सभी की हैं जो धरती पर सांस ले रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे लड़ा जा सकता है। हमें अपनी पृथ्वी को सही मायनों में ‘ग्रीन’ बनाना होगा। अपने ‘कार्बन फुटप्रिंट्स’(प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन को मापने का पैमाना) को कम करने के लिए जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा। हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएँगे।
ग्लोबल वार्मिंग मानव के द्वारा ही विकसित प्रक्रिया है क्योंकि कोई भी परिवर्तन बिना किसी चीज को छुए अपने आप नहीं होता है। यदि ग्लोबल वार्मिंग को नहीं रोका गया तो इसका भयंकर रूप हमें आगे देखने को मिलेगा, जिसमें शायद पृथ्वी का अस्तित्व ही ना रहे इसलिए हम मानवों को सामंजस्य, बुद्धि और एकता के साथ मिलकर इसके बारे में सोचना चाहिए या फिर कोई उपाय ढूँढना अनिवार्य है, क्योंकि जिस ऑक्सीजन को लेकर हमारी साँसें चलती है, इन खतरनाक गैसों की वजह से कहीं वही साँसें थमने ना लगे। इसलिए तकनीकी और आर्थिक आराम से ज्यादा अच्छा प्राकृतिक सुधार जरूरी है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए जितने हो सकें उतने प्रयत्न ज़रूर करने चाहिए।
वृक्षारोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो सके और प्रदूषण को कम किया जा सके।
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