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जनरेशन गैप पर निबंध (Generation Gap Essay in Hindi)

Generation Gap

जनरेशन गैप तब होता है जब दो लोगों के बीच उम्र (एक पूरी पीढ़ी) का काफी अंतर होता है। यह अक्सर माता-पिता और बच्चों के बीच टकराव का एक कारण बन जाता है। जनरेशन गैप को दो अलग-अलग पीढ़ियों से संबंधित लोगों के बीच के विचारों और विचारधाराओं के अंतर के रूप में समझाया गया है। यह राजनीतिक विचारों, धार्मिक विश्वासों या जीवन के प्रति सामान्य दृष्टिकोण में अंतर हो सकता है।

जनरेशन गैप (पीढ़ी अंतराल) पर छोटा व बड़ा निबंध (Long and Short Essay on Generation Gap in Hindi, Pidhi Antral par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

जनरेशन गैप को विभिन्न पीढ़ियों के लोगों के बीच विश्वास और विचारों के अंतर के रूप में जाना जाता है। यह एक सामान्य सी बात है जो कई वर्षों से जारी है। जनरेशन गैप अक्सर बच्चों और माता-पिता या दादा-दादी के बीच के विचारों के अंतर को बताता है।

जनरेशन गैप शब्द की उत्पत्ति

1960 के दशक में जनरेशन गैप के अंतर का सिद्धांत पेश किया गया था। उस समय के आसपास ऐसा देखा गया कि, युवा पीढ़ी से उनके माता-पिता के विश्वास के बारे में लगभग सभी चीजों के बारे में पूछताछ की गई और वे लगभग हर चीज़ में अपने माता-पिता से अलग निकले। इसमें उनके धार्मिक विश्वासों, राजनीतिक विचारों, नैतिक मूल्यों, रिश्ते की सलाह और यहां तक ​​कि उनका मनपसंद संगीत जो वे पसंद करते हैं शामिल थे। प्रतिष्ठित समाजशास्त्रियों जैसे कार्ल मैनहेम ने पीढ़ियों के बीच मतभेदों को देखा की कैसे विभिन्न स्थितियों में पीढ़ियों ने एक-दूसरे से खुद को अलग किया।

जनरेशन गैप – एक दिलचस्प अवधारणा

जनरेशन गैप आमतौर पर बच्चों और उनके माता-पिता के बीच संघर्ष का कारण है। यह वास्तव में एक दिलचस्प अवधारणा है। अगर दुनिया में इस तरह का अंतर नहीं होता तो दुनिया वास्तव में काफी अलग होती। प्रत्येक पीढ़ी अपनी फैशन प्रवृत्तियों को स्थापित करती है, अपनी मनपसंद भाषा में बात करती है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ाती है और नए आविष्कारों की ख़ोज करती है।

जनरेशन गैप के कारण समाज में कई बदलाव हुए हैं विशेषकर भारत में जहां संयुक्त परिवार प्रथा पहले से ही प्रचलित थी। बाद में भारत में अलग परिवार बसाने की अवधारणा शुरू हो गई और यह भी पीढ़ी के अंतराल का ही एक परिणाम है। लोग इन दिनों गोपनीयता की लालसा रखते हैं और अपने जीवन को अपने तरीके से जीना चाहते हैं परन्तु संयुक्त परिवार प्रथा इसमें मुख्य बाधा है। इस प्रकार बहुत से लोग अलग-अलग परिवार बसा रहे हैं। इसी प्रकार समाज के विभिन्न स्तरों पर होने वाले कई बदलाव जनरेशन गैप के परिणाम हैं।

जैसा की धरती पर सब कुछ अवधारणा है उसी तरह जनरेशन गैप में भी अच्छाई और बुराई है। इस अंतर को खत्म करने के लिए समझ और स्वीकृति को विकसित करने की आवश्यकता है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र लगातार विकसित हो रहे हैं और यह भी लोगों, उनके विश्वासों, विचारों और उनके समग्र व्यवहार के जीवन का तरीका है। इस प्रकार विभिन्न पीढ़ियों के लोग अलग-अलग व्यवहार करते हैं और उनकी अपनी स्वयं की विचारधाराएँ हैं जिन्हें जनरेशन गैप के रूप में जाना जाता है।

कैसे पीढ़ी का अंतर स्पष्ट है ?

विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जहाँ आजादी से पहले पैदा हुए लोगों को परंपरावादी करार दिया गया है वहीँ इसके बाद जन्में लोगों को बेबी बुमेरर्स कहा जाता है, जो 1965 और 1980 के बीच पैदा हुए उन्हें जनरेशन एक्स और 1980 से 1999 को जनरेशन वाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ कुछ ऐसी चीजें हैं जो स्पष्ट रूप से इन पीढ़ियों के बीच अंतर को दिखाती हैं। यहां उन पर एक नजर है:

  • पारिवारिक प्रणाली

पुरानी पीढ़ी से जुड़े लोग एक संयुक्त परिवार में रहते थे और वे चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल करने में विश्वास रखते थे। हालांकि समय के साथ यह विचारधारा बिगड़ती चली गई। वर्तमान पीढ़ी स्वतंत्रता चाहती है और बहुत कम लोग संयुक्त परिवार में रहने के परंपरागत तरीके का पालन करना चाहते हैं। लोगों की समग्र जीवन शैली में काफी बदलाव आया है।

आजादी के पूर्व समय के लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी आज की हिंदी भाषा से काफी अलग है और यह बदलाव अचानक नहीं आया। यह बदलाव पीढ़ी दर पीढ़ी अस्तित्व में आया। प्रत्येक पीढ़ी अपनी भाषा की अलग पहचान बना लेती है। भाषा में इस परिवर्तन के कारण घर और साथ ही कार्यस्थल पर विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों के बीच संचार कभी-कभी मुश्किल हो जाता है।

  • कार्यस्थल पर रवैया

जहाँ पिछली पीढ़ी के लोग बड़े-बुजुर्गों से दिशा-निर्देश लेने में अच्छे थे और अपने अधिकारियों के प्रति वफादार थे वहीँ इन दिनों लोग बहुत जल्दी अपने काम से ऊब जाते हैं और कुछ साल के भीतर ही अपनी नौकरी बदलने या नौकरी छोड़ने की कोशिश करते हैं। जनरेशन वाई के लोग अविष्कार करने में महारथ रखते हैं और अपने अधिकारियों से अपने स्वयं के अनूठे विचार साझा और लागू करना चाहते हैं बजाए आँख बंद करके उनके दिशा-निर्देश मानने के।

  • महिलाओं के प्रति व्यवहार

पुरानी पीढ़ियों की महिलाएं ज्यादातर घर तक ही सीमित थीं। उन्हें केवल एक दासी की तरह देखा जाता था जिसे घर का ख्याल रखना चाहिए जबकि बाहर जाकर काम करना पुरुषों का काम था। हालांकि समय बदलने के साथ महिलाओं के प्रति समाज का रवैया भी बदल गया है। आज महिलाओं को अपनी पसंद के किसी भी क्षेत्र में काम करने और पुरुषों के साथ काम करने का अधिकार है।

एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों से काफी अलग होते हैं जो कि प्राकृतिक है। हालांकि समस्या तब पैदा होती है जब विभिन्न पीढ़ियों के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों के विचारों और विश्वासों की निंदा करते हुए अपने विचारों और विश्वासों को थोपने की कोशिश करते हैं।

Generation Gap Essay in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

जनरेशन गैप मूल रूप से विभिन्न पीढ़ियों के बीच का अंतर है। 1960 के दशक में जनरेशन गैप के अंतर के सिद्धांत ने कहा कि युवा पीढ़ी हमेशा पुराने पीढ़ियों के विचारों, दृष्टिकोणों और विश्वासों पर सवाल उठाते और चुनौती देते हैं।

पीढ़ियों का वर्गीकरण

ऐसा देखा गया है कि अलग-अलग स्थिति में विभिन्न पीढ़ी के लोग अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं। उनके दृष्टिकोण, विश्वास, विचार और सभी मान्यताओं के आधार पर पीढ़ियों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इस वर्गीकरण का विस्तार इस तरह से है:

बेबी बुमेरर्स

जनरेशन एक्स

इन पीढ़ियों में से प्रत्येक के बारे में संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है:

ये लोग उस समूह से संबंधित हैं जो 1946 से पहले पैदा हुए थे और अभी 70 साल से ऊपर हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये लोग आदेश का अच्छी तरह से पालन करते हैं और कुशलता से काम करके संतुष्ट हो जाते हैं। वे युवा पीढ़ियों के साथ अपने अनुभवों को बांटने और उन लोगों के आस-पास होना पसंद करते हैं जो उनके ज्ञान और अनुभव की सराहना करते हैं। वे अपने अधिकारी के प्रति वफादार होने के लिए जाने जाते हैं। इनमें से ज्यादातर एक ही संगठन के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत करते हैं और उस संगठन के प्रति वफादार रहते हैं।

ये लोग 1946 और 1965 के बीच पैदा हुए थे। इस पीढ़ी के लोग कड़ी मेहनत करने वाले हैं लेकिन ज्यादातर फीडबैक से परिचित नहीं हैं। उन्हें पुरस्कार के रूप में पैसा और प्रचार भी चाहिए। चूंकि इनमें से अधिकतर ऐशो-आराम से नहीं जिए इसलिए वे सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चों को वह सब कुछ मिले जो वे चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी सराहना की जाए। वे चाहते हैं कि उनके अधिकारी और बच्चें यह समझे कि वे मूल्यवान और आवश्यक हैं। इन सभी चीजों की कमी उनके बीच असंतोष पैदा करती है।

इस पीढ़ी के लोग 1965 और 1980 के बीच पैदा हुए थे। जनरेशन एक्स अपनी पहचान चाहता है। उनके लिए सबसे अच्छा इनाम समय बंद के रूप में है। वे चीजों को अपने तरीके से करना चाहते हैं और किसी भी नियम का पालन करना पसंद नहीं करते हैं। वे यह कहना चाहते हैं कि वे जिस तरह से चाहते हैं उस तरह से चीजों को कर सकते हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने अपने माता-पिता दोनों को काम पर जाते देखा है और इस चीज़ का जो उन पर प्रभाव पड़ा है वह अच्छा नहीं था। इसलिए वे अपने परिवार के जीवन को अपनी नौकरी पर प्राथमिकता देते हैं। इस पीढ़ी के लोगों को ज्यादा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

यह 1981 और 1999 के बीच पैदा हुए लोगों का समूह है। इनमें से अधिकांश ने अभी काम करने की उम्र में प्रवेश किया है। यह समूह सार्थक काम में शामिल होने में दिलचस्पी लेता है और अपने काम के प्रति अपनी फीडबैक देने में भी आगे रहता है। इस पीढ़ी के लोग काफी रचनात्मक होते हैं। वे रचनात्मक व्यक्तियों और उन स्थानों पर काम करना पसंद करते हैं जहां उनकी रचनात्मकता का पता लगाने की अनुमति होती है। यह उनके लिए प्रेरणा का एक स्रोत है और उन्हें जिंदा रखता है। यह एक ऐसी पीढ़ी है जो बहुत जल्दी ऊब जाती है। परंपरावादियों के विपरीत वे अपनी नौकरी काफी बार बदलते हैं।

मानव जाति लगातार विकसित हो रही है और इसलिए विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों की विचारधाराओं में बदलाव आया है। हालांकि किसी अन्य से अलग राय होना पूरी तरह से ठीक है लेकिन कभी-कभी यह संघर्ष का एक कारण भी बन सकता है।

निबंध – 4 (600 शब्द)

जनरेशन गैप एक प्राकृतिक क्रिया है। इस दिशा में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी से अलग क्यों है? ऐसा कुछ है जो स्वाभाविक रूप से उनमें आता है और यह एक तरह से एक अच्छी बात है क्योंकि इस तरह से मानव प्रजाति विकसित हो रही है।

जनरेशन गैप-रिश्तों पर प्रभाव

नए विचार और तथ्य हमेशा अच्छे होते हैं। इस तरह हमारे चारों तरफ की दुनिया अलग-अलग स्तरों पर विकसित होती है। हालांकि दो पीढ़ियां विशेष रूप से माता-पिता और बच्चों के बीच सोच और विचारों में अंतर अक्सर संघर्ष का एक मुद्दा बन जाता है। इस संघर्ष की वजह से संबंधों में तनाव आ जाता है।

माता-पिता को अपने बच्चों से बड़ी उम्मीदें होती हैं। उनकी एक निर्धारित छवि है कि कैसे उनके बच्चों को उनकी परंपरा, मूल्यों के साथ-साथ उनके विस्तारित परिवार के अन्य सदस्यों से व्यवहार करना चाहिए। उन्हें लगता है कि वे जानते हैं कि उनके बच्चों को अपने जीवन में क्या करना चाहिए। अब समस्या तब होती है जब बच्चे के मन में एक अलग सोच बसी होती है (जो ज्यादातर मामलों में होती है)। ऐसा होने की वजह से संघर्ष शुरू होता है। यह कहना सही नहीं है कि माता-पिता हर बार पूरी तरह से गलत हैं। वे बड़े हैं और निश्चित रूप से अपने बच्चों के लिए आदर्श निर्देशक हैं और कई बार वे अपने बच्चों के लिए सही निर्णय भी लेते हैं। हालांकि युवा पीढ़ी शायद ही कभी इस चीज़ को समझ पाए। यह दुख की बात है कि जनरेशन गैप कई रिश्तों में खटास का कारण रहा है।

कैसे इस अंतर को भरा जाए?

माता-पिता का रिश्ता दुनिया में सबसे सुंदर संबंध है। इसका प्यार से पालन पोषण करना चाहिए और देखभाल के साथ संभाला जाना चाहिए। यह देखना जरुरी है कि कैसे ये रिश्ते जनरेशन गैप की वजह से कमज़ोर पड़ रहे हैं।

ऐसा देखा जाता है कि पुरानी पीढ़ी हमेशा एक बेहतर निर्णायक और निर्णय निर्माता होने का दावा करती है और युवा पीढ़ी अक्सर ख़ुद को अपराधी की तरह महसूस करती है। यह समझने का समय है कि जो भी कुछ वे करते हैं न तो वे इसमें पूरी तरह से गलत हैं और ना ही पूरी तरह से सही हैं। वास्तव में इस मामले में सही और गलत की परिभाषा अलग-अलग पीढ़ियों के लिए अलग है। इसके लिए स्वीकृति और समझने की आवश्यकता है।

पुरानी पीढ़ी के लोगों को यह समझना चाहिए कि उनके बच्चे दूसरे युग में पैदा हुए हैं और इसलिए उनकी मानसिकता उनसे अलग है। माता-पिता और दादा-दादी को, उनके नियमों और विचारों को अंधाधुंध रूप से लागू करने के बजाय, ध्यान देना होगा कि उनके बच्चे क्यों अलग व्यवहार कर रहे हैं और अलग-अलग राय क्यों रखते हैं।

माता-पिता को अपने बच्चों की मनोदशा को समझने के लिए उनका दोस्त बनना चाहिए। दूसरी ओर बच्चों को अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता पर भरोसा करना चाहिए और उनके साथ अपने विचार साझा करना चाहिए। बच्चों को अपने माता-पिता से बातचीत के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और समझना चाहिए कि उनको उनके माता-पिता से मिलने वाली सलाह गलत नहीं है। यह उन्हें उनके जीवन में प्रगति करने में मदद करेगा।

माता-पिता को हर बार अपने बच्चों पर नज़र नहीं रखनी चाहिए और उन्हें हर चीज में टोकने की बजाए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों को छूट देते समय कुछ सीमाएं निर्धारित करनी चाहिए जिसका बच्चों को भी सम्मान करना चाहिए। दो-तरफा संचार एक मजबूत संबंध का आधार है और दोनों माता-पिता और बच्चों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इसे बनाए रखें। हर गंभीर मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए और दोनों पार्टियों को इस पर बहस के बजाए एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

जनरेशन गैप इसलिए होता है क्योंकि दुनिया लगातार बदलती रहती है। हमें यह समझना चाहिए कि अलग-अलग समय में पैदा हुए लोग एक-दूसरे से अलग होते हैं। लोगों को एक-दूसरे पर अपने विचारों और विश्वासों को थोपने के बजाए एक-दूसरे के व्यक्तित्व का सम्मान करना चाहिए।

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पीढ़ी का अंतर या पीढ़ी अंतराल पर निबंध

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By विकास सिंह

generation gap in hindi

विषय-सूचि

पीढ़ी अंतराल निबंध, generation gap essay in hindi (100 शब्द)

दो लोग जिनका अलग अलग समय में जन्म हुआ है एक दुसरे से काफी अलग अलग होते हैं। इनमे से एक होता है उनके सोचने का तरीका। आज के समय में दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है जिसकी वजह से नयी नयी पीढियां पुरानी पीढ़ियों से काफी बदलती जा रही हैं। यदि हम भारत का उदाहरण ले तो जो लोग स्वतंत्र से पहले जन्मे थे वे स्वतंत्र के बाद जन्मे लोगों से विचारों में बिलकुल अलग हैं और जो लोग 21वीं सदी में जन्में हैं वे पिछले लोगों से बिकुल अलग हैं। यह मुख्यतः अलग अलग समय और परिस्थितियों में जन्म लेने की वजह से होता है।

जब दो पीढ़ियों में अंतर हो जाता है तो हम इसे पीढ़ी अन्तराल या जनरेशन गैप (generation gap) कहते हैं। बदलते समय के साथ लोगों के जीने के तौर तरीके, विचारधारा, विशवास और सम्पूर्ण व्यवहार में ही बदलाव आता है जिससे वे दुसरे लोगों से बिलकुल भीं होते हैं। माँ-बाप और बच्चों के बेच ये अंतर आने की वजह से इस रिश्ते में तनाव आता है और अक्सर झगडे होते हैं। हालांकि इसे उचित प्रबंधन से दूर किया जा सकता है।

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पीढ़ी का अंतर निबंध, generation gap essay in hindi 2 (200 शब्द)

पीढ़ी में अंतर तब होता है जब दो लोगों के बीच उम्र का काफी फर्क होता है जिससे उन दोनों के विचार मेल नहीं खाते हैं। जैसे माँ-बाप और बच्चे, इनकी विभिन्न राय होती है और इसी कारण से उनमे अक्सर टकराव होता है। पीढ़ी के अंतर या जनरेशन गैप को किन्हीं दो विभिन्न पीढ़ियों के लोगों की विचारधाराओं के अंतर के रूप मे समझाया जाता है। आज के समय में जब पूरी दुनिया के हर क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहे हैं और इसी वजह से अलग अलग समय में जन्में लोगो के विचार भी अलग अलग होते हैं।

हम उदाहरण के तोर पर भारत को ही लेते हैं यहाँ 21वीं सदी में पैदा हुए लोग पिछली सदी में पैदा हुए लोगों से विचारधाराओं के मामले में बिलकुल अलग हैं। विभिन्न लोगों के विचार मेल नहीं खाते है हालांकि दोनों व्यक्ति अपने हिसाब से सही होते हैं लेकिन समय परिवर्तन के हिसाब से पहले जन्में लोग अपने आप को व्यवस्थित नहीं कर पाते और इसी वजह से हाल ही में जन्में लोग और उनके विचार मेल नहीं खाते हैं और टकराव होता है।

जनरेशन गैप के अंतर का मुख्य असर माता-पिता और संतान के रिश्ते पर पड़ता है। आजकल लोग ज्यादा स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं और साथ ही ज्यादा निजता बनाए रखना पसंद करते है हालांकि माँ-बाप की सोच थोड़ी अलग है। माँ-बाप अपने बच्चों में नैतिकता और व्यवाहरिकता सिखाना चाहते है, जिससे इस रिश्ते में अक्सर टकराव देखा जाता है। हालांकि जनरेशन गैप को जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि माँ-बाप और बच्चे यदि आपस में अपने सभी विचार रखें और सही गलत का फैसला मिल कर करें तो अन्तर से होने वाले टकराव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

पीढ़ी अंतराल निबन्ध, generation gap essay in hindi 3 (300 शब्द)

दो पीढ़ी के व्यक्तियों के विचार और तौर तरीकों में जब समय के साथ अंतर आ जाता है तो इसे जनरेशन गैप या पीढ़ी अंतराल कहा जाता है। अक्सर देखा जाता है की माँ-बाप और दादा-दादी के विचार काफी अलग होते हैं इसके अलावा माँ-बाप और बच्चों के विचारों में भी अक्सर अंतर देखा जाता है ऐसे ही आने अंतर की वजह से पीढ़ी अंतराल होता है जिससे की दो पक्षों के विचार बदलते हैं।

पीढ़ी अंतराल की उत्पत्ति (Origin of the Term)

जनरेशन गैप या पीढ़ी अंतराल शब्द की उत्पत्ति सबसे पहले 1960 में हुई थी। यह ऐसा समय था जब पहली बार देखा गया की एक बच्चा अपने माँ-बाप के हर नियम के खिलाफ जाने लगा या उन पर सवाल उठाने लगा। इसमें उनके धार्मिक विश्वास, राजनीतिक विचार, नैतिक मूल्य, रिश्ते की सलाह और यहां तक कि संगीत के प्रकार भी शामिल थे। कुछ समाजवादी व्यक्तियों ने सी विषय पर रिसर्च की और पीढ़ियों के बीच बढ़ रहे अंतर और तेजी से बदला रहे विचारों को जांचा।

जनरेशन गैप की अवधारणा (Interesting Concept)

हालांकि जनरेशन गैप माँ-बाप और बच्चों के बीच टकराव का एक मुख्य कारण होता है, लेकिन जनरेशन गैप इस दुनिया में होना ज़रूरी भी है। इसी की वजह से हर नई पीढ़ी कुछ नया करती है और यदि जनरेशन गैप नहीं होता तो इस दुनिया में बदलाव की गति बहुत धीमी होती। आज कल की बदलती दुनिया में हर नयी पीढ़ी नया फैशन, नए आविष्कार कर रही है क्योंकि उनके विचार, तरीके और ज़रूरतें बदल रही है और इसी वजह से हमारी दुनिया में तकनीकें इतनी तेजी से विकसित हो रही हैं।

जनरेशन गैप की वजह से इसी दुनिया में काफी बदलाव आये हैं जैसे भारत में पहले बड़े परिवार होते थे जिसमे एक से अधिक परिवार मिलकर रहते थे लेकिन अब लोगों की धारणाएं बदल गयी है और अब वे निजता चाहने लगे हैं जिसके कारण ज़्यादातर लोग छोटे परिवारों में रहते है और यहाँ तक की वे अपने माँ-बाप के साथ भी रहना पसंद नहीं करते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

जैसा की हर चीज़ का फायदा भी होता है और नुक्सान भी उसी तरह जनरेशन गैप के भी अपने फायदे और नुक्सान हैं। यदि यह नहीं रहेगा तो हमारी दुनिया इस तेजी से नहीं बढ़ेगी हालांकि इसे होने वाले नुक्सान को कुछ प्रयत्न करके हम काफी हद तक कम कर सकते हैं।

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जनरेशन गैप essay on generation gap in hindi, (400 शब्द)

प्रस्तावना (introduction).

आज के परिदृश्य में दुनिया काफी तेजी से बदल रही है। विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में भी उनाती हो रही है और इसी के साथ साथ लोगों का रहन सहन और उनके विचार और जीने के तरीके और ज़रूरतें बदल रही है। इसी के परिणामस्वरूप एक विशेष पीढ़ी के लोगों की धारणाएं दूसरी पीढ़ी के लोगों से मेल नहीं खाती यानी अलग होती हैं और इसे ही जनरेशन गैप या पीढ़ी अंतराल कहा जाता है।

पीढ़ी अंतराल कैसे प्रत्यक्ष होता है? (How is the Generation Gap Evident?)

अलग अलग पीढ़ियों संबंधित लोगों को अलग अलग नाम दिए जाते हैं जैसे जो लोग स्वतंत्रता से पहले हुए थे उन्हें परम्परावादी कहा जाता है इसके अलावा जो लोग 1950-1965 के बीच पैदा हुए हैं उन्हें बेबी बूमर्स कहा जाता है। इसके साथ जो लोग 1965-1980 के बीच पैदा हुए हैं उन लोगों को जनरेशन एक्स और इसके बाद पैसा हुए लोगों को जनरेशन वाय कहा जाता है। निम्न बिंदु पीढ़ी अंतराल को दर्शाते हैं :

1. सयुंक्त परिवार और छोटा परिवार :

पहले की पीढ़ी के लोग अक्सर सयुंक्त परिवार के रूप में रहा करते थे यानी एक से अधिक परिवार एक ही घर में एक साथ रहा करते थे लेकिन बदलते समय के साथ युवाओं की सिच बदल रही है और वे सभी निजता को तरजीह देने लगे हैं जिससे छोटे परिवार उभर रहे है। सभी निजता बनाए रखना चाहते हैं जिसके कारण एक सयुंक्त परिवार से दूर ही रहना पसंद करते हैं और यहाँ तक वे अपने माँ-बाप को भी अपने साथ रखना ठीक नहीं समझते है।

2. भाषा :

जनरेशन गैप की वजह से प्रयोग में ली जा रही भाषा में भी बदलाव देखने को मिले हैं। जैसे जो हिंदी लोग स्वतंत्रता से पहले बोलते थे वैसी हिंदी अब नहीं बोलते हैं उसमे काफी बदलाव आ चुके हैं इसके साथ ही भाषा में कई नए शब्द भी जुड़े हैं ऐसे में यदि कोई पिछली पीढ़ी का व्यक्ति आज के युवाओं से वाद विवाद करता है तो कुछ शब्द उसकी समझ से बाधार होते हैं जिससे वार्ता बाधित होती है।

3. हावभाव :

पिछली पीढ़ियों के लोग अपने अधिकारियों के प्रति वफादार थे और उनसे दिशा निर्देश लेकर काम करने में उन्हें कोई हिचकिचाहट नहीं होती थी लेकिन आज की यूवा पीढ़ी इससे बिलकुल अलग है। आज सभी अपना व्यवसाय खोलना चाहते हैं और कोई भी किसी दुसरे के नीचे कार्य नहीं करना चाहता है। इस कारण पिछली पीढ़ी की तुलना में इस पीढ़ी में बहुत बदलाव देखने को मिला है और इसी कारण से बहुत से नए इंटरप्रेन्योर बने हैं।

4. महिलाओं के प्रति व्यवहार :

पहले महिलाएं मुख्यतः घर के अन्दर रहा करती थी और उन पर घर के कामकाज का पूरा बोझ हुआ करता था। इसके साथ में पुरुष को ही बाहर जाकर कार्य करने की अनुमति हुआ करती थी और महिलाएं घर का कार्य संभालती थी। लेकिन अब समाज का महिलाओं के प्रति रवैय्या बदल गया है और अब वे अपनी इच्छानुसार कोई भी कार्य कर सकती हैं या किसी भी क्षेत्र में जा सकती है। नए ज़माने में उन्हें घर की बेड़ियों से आज़ादी मिली है।

यदि दो पीढ़ी के लोग एक दुसरे से मेल नहीं खाते हैं तो यह एक आम बात है लेकिन यदि एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों पर अपने विचार थोपते हैं तो यह जनरेशन गैप से नुक्सान होता है। हमें ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से दो पीढ़ियों के बीच तनाव बढ़ता है और अक्सर टकराव होते है।

जनरेशन गैप, essay on generation gap in hindi (500 वर्ड्स)

जनरेशन गैप मुख्यतः दो पीढ़ियों के बीच का अंतर होता है। इस अंतर की वजह से उनके विचारों मरीं भिन्नता आती है। इसको सबसे पहले 1960 में पहचान दी गयी थी तब माना जा रहा था की वर्तमान पीढ़ी अपने से पहले की पीढ़ी के हर विचार और विश्वास आदि पर सवाल उठा रही है। पीढ़ी अंतराल का यह मुख्या असार होता है की एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी के विचारों से बिलकुल सहमत नहीं होती या फिर उन पर सवाल उठाती है।

विभिन्न पीढियां (Classification of Generations)

जब गेन्रतोइन गैप की पहचान की गयी तभी से ही विभिन्न पीढ़ियों का वर्गीकरण किया जाने लगा। इसके मुताबिक़ जो लोग स्वतंत्रता से पहले जन्मे थे उन्हें पारंपरिक कहा जाने लगा इसके बाद जन्मे लोगों को बेबी बूमर्स और 1965-1980 के बीच जन्मे लोगों को जनरेशन एक्स और इसके बाद जन्म लेने वाले लोगों को जनरेशन वाई नाम दिया गया।

  • पारंपरिक लोग :

यह शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग में लिया जाने लगा जोकि स्वतंत्र से पहले यानी 1946 तक जन्म ले चुके थे। इन लोगों को परम्परावादी या पारंपरिक कहा जाता है। ये अभी तक 70 वर्ष या अधिक के हो चुके हैं और ये सामान्य ज़िन्दगी जीना पसंद करते हैं। ये अपने से ऊपर के लोगों से दिशा-निर्देश लेने में बिलकुल नहीं हिचकिचाते हैं और अपने से छोटे लोगों के साथ प्रेम से रहते हैं तथा अपनी ज़िन्दगी के घटनाओं के बारे में बताना पसंद करते हैं। ये लोग आने वाली पीढ़ी के लोगों से काफी अलग हैं।

2. बेबी बूमर्स :

यह शब्द ऐसे लोगों के प्रयोग किया जाता है जोकि स्वतंत्र के बाद जन्मे लेकिन 1965 से पहले जन्म ले चुके थे। इस पीढ़ी के लोग कड़ी मेहनत करने वाले हैं लेकिन ज्यादातर लोग फीडबैक पर निर्भर नहीं होते हैं। उन्हें अपने काम पूरा करने के पुरस्कार के रूप में पैसा और प्रचार भी चाहिए। चूंकि इनमें से अधिकतर ऐशो-आराम से नहीं जिए इसलिए वे सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चों को वह सब कुछ मिले जो वे चाहते हैं। अतः वे पाने बच्चों का पूरी तरह ख्याल रखते और चाहते हैं की उनकी सराहना की जाए। वे चाहते हैं कि उनके अधिकारी और बच्चें यह समझे कि वे मूल्यवान और आवश्यक हैं। इन सभी चीजों की कमी उनके बीच असंतोष पैदा करती है।

3. जनरेशन एक्स :

जनरेशन एक्स शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जोकि वर्ष 1965 से 1980 के बीच जन्मे थे। जनरेशन एक्स अपने काम से अपनी पहचान बनाता है। यह समय समय पर छुट्टी लेना पसंद करते हैं और ये लोग नियमों से काम करना पसंद नहीं करते हैं। वे चीज़ों को अपने तरीके से करना बेहद पसंद करते हैं। इन लोगों ने अपने माता-पिटा को काम करते देखा था जिससे इनपर बुरा असर हुआ और अब ये अपने परिवार के साथ समय बिताना बहुत पसंद करते हैं।

4. जनरेशन वाई :

यह शब्द ऐसे व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है जोकि वर्ष 1981 से 1999 के बीच जन्मे थे। इनमे से अधिकांश ने अभी काम करने की उम्र में प्रवेश किया है। यह समूह सार्थक काम में शामिल होने में दिलचस्पी लेता है और अपने काम के प्रति अपनी फीडबैक देने में भी आगे रहता है।

इस पीढ़ी के लोग काफी रचनात्मक होते हैं। वे रचनात्मक व्यक्तियों और उन स्थानों पर काम करना पसंद करते हैं जहां उनकी रचनात्मकता का पता लगाने की अनुमति होती है। यह उनके लिए प्रेरणा का एक स्रोत है और उन्हें जिंदा रखता है। यह एक ऐसी पीढ़ी है जो बहुत जल्दी ऊब जाती है। परंपरावादियों के विपरीत वे अपनी नौकरी काफी बार बदलते हैं। ये एक वर्ष में कई बार अपनी नौकरियां बदलते हैं। ये वहां नौकरी करते हैं जहां उनकी प्रतिभा के अनुसार उन्हें काम में लिया जाता है।

यह दुनिया काफी तेजी से बदला रही है और इसी के साथ इंसान अपने आप को भी बदल रहा है इसके हमें बदलती दुनिया के साथ बदलते रहना चाहिए। यदि हमारे विचार दुसरे व्यक्ति से मेल नहीं खाते तो यह गलत नहीं है लेकिन यदि इस बात पर झगडा होता है तो इससे हमें बचने की कोशिश करनी चाहिए।

पीढ़ी अंतराल, essay on generation gap in hindi (600 शब्द)

पीढ़ी अंतराल या जनरेशन गैप एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। विभिन्न प्रयोगों के निष्कर्ष से पता चला है की इस तेजी से बदलती दुनिया में दो पीढ़ियों में बदलाव आना एक साधारण बात है। बल्कि यह इंसानों के लिए बहुत अच्छी बात है क्योंकि इसी के आधार पर हम बेहतर होते हैं और बदलती दुनिया के साथ अपने आप को भी बदल पाते हैं। यदि पीढ़ी में कोई अंतर नहीं होगा तो हम उन्नति नहीं करेंगे और हमारे जीवन जीने का कोई उद्देश्य नहीं बच जाएगा।

रिश्तों पर पीढ़ी अंतराल का असर (Impact on Relations)

दो पीढ़ियों के विचार भिन्न होना एक आम बात है यह सामान्य है क्योंकि सभी समान विचार वाले नहीं होते लेकिन जब इस विचार में अंतर की वजह से रिश्तों में अनबन होती है तो यह जनरेशन गैप के नुक्सान बताता है। जैसा की अक्सर देखा जाता है की माँ-बाप और बच्चों के बीच विचार भेद जनरेशन गैप की वजह से होता है। इससे माँ-बाप जो बच्चे को सिखाते है उस पर वह सवाल उठाता है और वह जो करता है उस पर उसके माँ-बाप सवाल उठाते हैं। इन कारणों से जनरेशन गैप के दुप्रभाव अधिक माने जाते हैं।

माता-पिता को अपने बच्चे से बहुत उम्मीदें होती है। वे चाहते हैं की उनका बच्चा उनके हिसाब से कार्य करे लेकिन जब बच्चे के विचार अलग होते हैं तो इससे अक्सर उनके बीच झगडे होते हैं। बच्चे हर एक चीज़ का कारण जानना चाहते हैं लेकिन माँ-बाप केवल ये चीज़ें बच्चों पर पर थोप देते हैं और उनकी जिज्ञासा अधूरी रह जाती है। जब उन्हें किसी चीज़ का कारण नहीं पता होता तो वे उसे कारन भी पसंद नहीं करते। माँ-बाप को लगता है की वे हर जगह सही हैं लेकिन उन्हें हर फैसले से पहले दोनों पक्षों की राय लेनी चाहिए और अपने बच्चों से अच्छी तरह बातें करनी चाहिए।

जनरेशन गैप कैसे ख़त्म हो सकता है? (How to Bridge the Gap?)

माता-पिता और बच्चों के बीच एक बहुत सुन्दर होता है। इसमें माता-पिता का कर्त्तव्य होता है की वे बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करें और प्यार से रखें। ऐसे में कभी बच्चे के विभिन्न विचार होते हैं तो ऐसे में माँ-बाप को इसे निपुणता से संभालना चाहिए और बच्चे की हर जिज्ञासा शांत करना चाहिए।

यह समझने की ज़रुरत है की दो पीढ़ियों में से किसी कार्य को लेकर कोई भी पीढ़ी गलत नहीं होती है। वे दोनों अपनी जगह सही होती हैं ऐसे में झगडे की बजाय अपने अपने निर्णय को फिर से एक बार फिर से मंथन करने की ज़रुरत होती है और हम इस गैप को मिटा सकते हैं।

जो लोग पिछली पीड़ी के हैं उन्हें समझना चाहिए की जो नयी पीढ़ी है उनके बेशक विचार अलग होंगे क्योंकि वे अलग समय में जन्मे हैं और इसी के कारण उनके विचार का मेल ना खाना स्वाभाविक है। माँ-बाप को इस बात पर ध्यान देने की ज़रुरत है की उनका बच्चा इस प्रकार का व्यवहार क्यों कर रहा है। उन्हें अपने बच्चे को सारी बातें बतानी चाहिए और प्रोत्साहित करना चाहिए की वह भी अपने विचार उनके समक्ष रखे।

इसके अलावा माँ-बाप को अपने बच्चे को आत्मनिर्भर बानने देना चाहिए क्योंकि वे अगर हर काम में बीच में आयेंगे तो वह खुद से फैसला लेना नहीं सीखेगा। इसके साथ ही उन्हें अपने बच्चे के साथ नियमित रूप से बातें करनी चाहिए। इन कुछ तरीकों से वे जनरेशन गैप से होने वाले नुक्सान से बाख सकते हैं और उनका रिश्ता बना रह सकता है।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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बहुत ही उत्तम शैली मेँ आपने निबन्ध लेख लिखा है।

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पूजा स्थल अधिनियम: अगली सुनवाई तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा-सुप्रीम कोर्ट

प्रस्तावना के ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को चुनौती और सर्वोच्च अदालत का फैसला, आपको हर सुबह भीगे हुए बादाम क्यों खाने चाहिए, digital arrest: सावधान जागते रहो……. .

  • Tue. Dec 17th, 2024

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Notes in hindi

जनरेशन गैप पर निबंध essay

essay on generation gap

जनरेशन गैप पर निबंध (essay on generation gap)

प्रस्तावना.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र लगातार विकसित हो रहे हैं और यह भी लोगों, उनके विश्वासों, विचारों और उनके समग्र व्यवहार के जीवन का तरीका है। इस प्रकार विभिन्न पीढ़ियों के लोग अलग-अलग व्यवहार करते हैं और उनकी अपनी स्वयं की विचारधाराएँ हैं जिन्हें जनरेशन गैप के रूप में जाना जाता है।

कैसे   पीढ़ी   का   अंतर   स्पष्ट   है ?

विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जहाँ आजादी से पहले पैदा हुए लोगों को परंपरावादी करार दिया गया है वहीँ इसके बाद जन्में लोगों को बेबी बुमेरर्स कहा जाता है, जो 1965 और 1980 के बीच पैदा हुए उन्हें जनरेशन एक्स और 1980 से 1999 को जनरेशन वाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ कुछ ऐसी चीजें हैं जो स्पष्ट रूप से इन पीढ़ियों के बीच अंतर को दिखाती हैं। यहां उन पर एक नजर है:

  • पारिवारिक प्रणाली

पुरानी पीढ़ी से जुड़े लोग एक संयुक्त परिवार में रहते थे और वे चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल करने में विश्वास रखते थे। हालांकि समय के साथ यह विचारधारा बिगड़ती चली गई। वर्तमान पीढ़ी स्वतंत्रता चाहती है और बहुत कम लोग संयुक्त परिवार में रहने के परंपरागत तरीके का पालन करना चाहते हैं। लोगों की समग्र जीवन शैली में काफी बदलाव आया है।

  • भाषा

आजादी के पूर्व समय के लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी आज की हिंदी भाषा से काफी अलग है और यह बदलाव अचानक नहीं आया। यह बदलाव पीढ़ी दर पीढ़ी अस्तित्व में आया। प्रत्येक पीढ़ी अपनी भाषा की अलग पहचान बना लेती है। भाषा में इस परिवर्तन के कारण घर और साथ ही कार्यस्थल पर विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों के बीच संचार कभी-कभी मुश्किल हो जाता है।

  • कार्यस्थल पर रवैया

जहाँ पिछली पीढ़ी के लोग बड़े-बुजुर्गों से दिशा-निर्देश लेने में अच्छे थे और अपने अधिकारियों के प्रति वफादार थे वहीँ इन दिनों लोग बहुत जल्दी अपने काम से ऊब जाते हैं और कुछ साल के भीतर ही अपनी नौकरी बदलने या नौकरी छोड़ने की कोशिश करते हैं। जनरेशन वाई के लोग अविष्कार करने में महारथ रखते हैं और अपने अधिकारियों से अपने स्वयं के अनूठे विचार साझा और लागू करना चाहते हैं बजाए आँख बंद करके उनके दिशा-निर्देश मानने के।

  • महिलाओं के प्रति व्यवहार

पुरानी पीढ़ियों की महिलाएं ज्यादातर घर तक ही सीमित थीं। उन्हें केवल एक दासी की तरह देखा जाता था जिसे घर का ख्याल रखना चाहिए जबकि बाहर जाकर काम करना पुरुषों का काम था। हालांकि समय बदलने के साथ महिलाओं के प्रति समाज का रवैया भी बदल गया है। आज महिलाओं को अपनी पसंद के किसी भी क्षेत्र में काम करने और पुरुषों के साथ काम करने का अधिकार है।

निष्कर्ष

एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों से काफी अलग होते हैं जो कि प्राकृतिक है। हालांकि समस्या तब पैदा होती है जब विभिन्न पीढ़ियों के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों के विचारों और विश्वासों की निंदा करते हुए अपने विचारों और विश्वासों को थोपने की कोशिश करते हैं।

essay on generation gap - जनरेशन गैप पर निबंध essay

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Essay on Generation Gap in Hindi | जनरेशन गैप पर निबंध | पीढ़ी अंतराल निबंध | Generation Gap Essay in Hindi | Generation Gap par nibandh

By: Ramesh Chauhan

Essay on Generation Gap in Hindi | जनरेशन गैप पर निबंध | प्रस्तावना

पीढ़ी अंतराल क्या है, भौतिक संसाधनों में अंतर | पीढ़ी अंतराल निबंध | generation gap essay in hindi | generation gap par nibandh, रहन-सहन में अंतर-, जीवन मूल्यों में अंतर, कौन भला और कौन बुरा, essay on generation gap in hindi।।पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी में अंतर पर हिंदी में निबंध video.

हर आने वाला नया दिन अपने साथ कुछ न कुछ नयापन लेकर आता है । समय परिवर्तनशील होता है । समय के साथ-साथ हमारे चारों ओर भौतिक संसाधन में अंतर आ जाता है इसी अंतर के कारण हमारे सोच में भी परिवर्तन आता है । हर व्यक्ति को अपने समय का हर चीज अच्छा लगता है । पुराने लोगों आज का नयापन अच्छा नहीं लगता तो आज के बच्चों को कल की पुरानी बातें अच्छी नहीं लगती । यही पसंद नापसंद का सोच एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में एक अंतर के रूप दिखाई देता है ।

यहाँ पढ़ें :  1000 महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी निबंध लेखन यहाँ पढ़ें :   हिन्दी निबंध संग्रह यहाँ पढ़ें :   हिंदी में 10 वाक्य के विषय

पीढ़ी अंतराल जिसे अंग्रेजी में जनरेशन गैप कहा जाता है । वास्तव में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों वैचारिक परिवर्तन है । हालांकि इन पीढ़ियों के बीच केवल विचारों में ही अंतर नहीं बल्कि रहन-सहन, खान-पान, पहनावा और भौतिक संसाधनों में भी अंतर आ जाता है। इन बदलावों के कारण दोनों पीढ़ियों के सोच में काफी अंतर आ जाता है । इस अंतर को ही पीढ़ी अंतराल या जनरेशन गैप कहते हैं । बाप के समय और बेटे के समय के परिवेश और विचारों में अंतर को पीढ़ी अंतराल कहते हैं ।

Essay on Generation Gap in Hindi

यहाँ पढ़ें : Essay on Youth in Hindi

आज और आज से 25-30 वर्ष पूर्व के भौतिक संसाधनों में काफी अंतर आ गया है । कृषि क्षेत्र को ही देखे तो पहले किसान जुताई के केवल अपने हल पर निर्भर था, इस कारण पशुओं का अधिक ध्यान रखता था । आज इसके टैक्टर सहित कई आधुनिक मशीनें आ गई है, इस मशीन के कारण पशुओं पर लोगों का ध्यान कम हो गया है इसलिए गोवंश का पशुधन अब मारा-मारा फिर रहा है ।

पहले मनोरंजन का प्रमुख साधन मंचीय कार्यक्रम, थियेटर, रेडियो था आज मोबाइल क्रांति के कारण सारा कुछ इंटरनेट और मोबाइल रह गया है । विस्तार से देखें तो जीवन के हर क्षेत्र में भौतिक संसाधनों में आमूलचूल परिवर्तन दिखाई देता । इस परिवर्तन को पुराने लोग समाज के लिए नुकसानदेह बताते हैं तो नए लोग इसे जीवन स्तर में सुधार निरूपित करते हैं । यही तो पीढ़ी अंतराल है ।

यहाँ पढ़ें :   Essay on Leadership in Hindi

एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी के आते-आते उनके रहन-सहन में काफी बदलाव देखने को मिलता है । उदाहरण के लिए देखे तो पहले के लोग संयुक्त परिवार में रहना पसंद करते थे आज के लोग एकाकी परिवार में रहना पसंद करते थे ।

पहले के लोग अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा का कठोरता से पालन करते थें , आज के लोग रूढ़िवाद और प्रगतिवाद के तराजू में तौल कर ही किसी बात को मानना है या नहीं इस बात का फैसला करते हैं । दोनों पीढ़ी के बीच खान-पान, पहनावा, सामाजिक मेल-मिलाप सब में अंतर देखने को मिलता है। हर व्यक्ति अपने समय की बातें को अपने अनुकूल और श्रेष्ठ समझता है । इसी श्रेष्ठता के टकराव में ही पीढ़ी अंतराल पैदा होता है ।

जहां पहली पीढ़ी धार्मिक मान्यताओं, परम्पराओं को अपनी संस्कृति मानकर पालन करते थे, उसे आज के लोग रूढ़िवाद और आधुनिकता में अंतर करते हुए छोड़ देते हैं। घर-परिवार, समाज गांव जहां पहले एक दूसरे को सहयोग देने की भावना प्रबल होती थी लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में तन मन और धन से सहयोग करते थे इसमें आज कमी आ गई लोग केवल अपने काम अपने लाभ को ज्‍यादा महत्‍व देते हैं । एक दूसरे के सुख दुख में केवल फार्मेल्टी निभाते हैं ।

पीढ़ी अंतराल के इस वैचारिक द्वंद में कौन भला है और कौन बुरा है यह तय कर पाना आसान नहीं है । सृष्टि स्वयं परिवर्तनशील है, इसलिए समय के अनुसार तो बदलाव आयेगा ही आयेगा । कुछ बदलाव अच्छे होते हैं कुछ बदलाव बुरे भी होते हैं । विज्ञान की प्रगति से शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा में जो परिवर्तन हो रहा है वह निश्चित रूप से अच्छे हैं ।

जिस बदलाव से जीवन स्‍तर में सुधार हो, निर्धनता कम हो वह बदलाव अच्‍छे ही हैं । किन्‍तु जिस बदलाव से परिवार के बीच दूरियां बढ़ जाए, पारिवारिक संबंधों में खटास पैदा हो जाए, जिससे लोग एक दूसरे का सम्मान करना छोड़ दें मानवीय सहयोग छोड़ दे वह बदलाव निश्चित रूप से बुरे कहे जाएंगे।

बदलावों के क्रम संतुलन बनाना ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बात है । हमारे परिवेश और विचार में बदलाव होते रहे हैं, होते रहेंगे किंतु इस परिवर्तन यदि कुछ नहीं बदलेगा तो वह है जीवन । मनुष्य का जीवन सुख और दुख के क्रम में सदा चलता रहा है चलता रहेगा । मनुष्य जीवन के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी मानवता । इस बदलाव में मानवता के गुणधर्म को हमें बचा कर रखना चाहिए । यह जीवन मूल्य है इस जीवन मूल्य को अक्षुण्ण रखना चाहिए।

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A Hindi content writer. Article writer, scriptwriter, lyrics or songwriter, Hindi poet and Hindi editor. Specially Indian Chand navgeet rhyming and non-rhyming poem in poetry. Articles on various topics especially on Ayurveda astrology and Indian culture. Educated best on Guru shishya tradition on Ayurveda astrology and Indian culture.

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पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी में अंतर

hindi essay on generation gap

पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी में अंतर पर निबंध Hindi essay on Generation Gap .

भारत में स्वतंत्रता से पहले जन्मे हुए लोग और स्वतंत्रता के पश्चात जन्मे हुए लोगो के सोचने का तरीका बिलकुल अलग है। 21  शताब्दी के लोगो के सोचने का तरीका बिलकुल अलग और आधुनिक ख्याल के है। विभिन्न युगों में पैदा हुए लोग के सोच एक- दूसरे से भिन्न होते हैं। दुनिया तेज़ी से बदल रही है और इस प्रकार अलग-अलग समय में पैदा हुए लोगों के रहन -सहन बीच अंतर होना स्वाभाविक है।

भारत की बात करें तो आजादी से पहले पैदा हुए लोग आज के पैदा हुए लोगों से बिलकुल अलग है। अलग हैं। दो पीढ़ियों की सोच में बहुत बड़ा अंतर है। पुरानी और नवीन पीढ़ी के लोगो के सांस्कृतिक, आर्थिक, नैतिक मूल्य, व्यवहारिक ज्ञान और सामाजिक परिवेश के बीच बहुत विशाल अंतर है। इस अंतर को हम जनरेशन गैप बोलते है।

बदलते समय के अनुसार लोगो के जीने का तरीका, सोचने का तरीका, सम्पूर्ण व्यवहार में अदभुत परिवर्तन आता है। लोगो के ज़िन्दगी जीने का तरीका पीढ़ी दर पीढ़ी बदलती रहती है। परिवर्तन जिन्दगी का अहम पहलु है। माता – पिता और बच्चो के बीच भी इस अंतर को मापा जा सकता है, जब बच्चे बड़े हो जाते है। बच्चे और अभिभावक अपने पीढ़ी के मुताबिक चीज़े करते है। माता-पिता अपने पीढ़ी से सीखी हुयी चीज़े बच्चो को सिखाते है, और बच्चो से उसका अनुकरण करने के लिए कहते है। यहीं से कहीं ना कहीं मतभेद आरम्भ होता है। जेनरेशन गैप दो पीढ़ियों के बीच अंतर को दर्शाने के लिए एक शब्द अंकित किया गया है। जेनेरशन गैप का प्रभाव माता -पिता और संतान के रिश्ते पर साफ़ तौर पर दिखाई देता है। सोच में बदलाव के कारण जिन्दगी के किसी भी मोड़ पर अभिभावक और सन्तानो के मध्य  टकराव हो सकते है।

समाज निरंतर तीव्र गति से बदल रहा है। लोगो के जीवन शैली, विचारधारा, उनकी राय, विश्वास  समय चक्र के साथ बदलता रहता है। यह परिवर्तन नए विचारों को जन्म देता है और अनुचित रूढ़ियों को भस्म कर एक नए और सकारात्मक सोच के साथ समाज का निर्माण होता है। हमेशा अधिकांश समय इन दो पीढ़ियों के बीच कहीं ना कहीं संघर्ष बना रहता है।

पीढ़ीओं के सोच प्रत्येक व्यक्ति के पीढ़ी के अनुसार होते है। जिस पीढ़ी में व्यक्ति ने जीवन शैली और मूल्यों को जीया है, उसी के  के अनुसार चलता है, इसलिए दूसरी पीढ़ी के लोगो के साथ बातचीत करने पर मतभेद होते रहते है। व्यक्ति अपने परिवार में भी पीढ़ी अंतराल को गौर कर और भली -भाँती महसूस कर सकता है।

दादा दादी के सोच और उनका रहन -सहन माता – पिता से एकदम भिन्न होता है। एक ही विषय पर दोनों के विचार अलग हो सकते है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसी परिवर्तन और फेर बदल को हम पीढ़ी अंतराल अर्थात जनरेशन गैप कहते है। आजकल के युवा स्वतंत्र होकर जीना पसंद करते है, उन्हें हस्तक्षेप पसंद नहीं है। उन्हें निजी जीवन जीना ज़्यादा सुखदायी लगता है। लेकिन उनके अभिभावक की सोच यहाँ एकदम अलग है। पीढ़ी अंतराल को पूर्ण रूप से समाप्त नहीं किया जा सकता है। अगर एक साथ दोनों पीढ़ी शांत होकर सूझ -बूझ के साथ फैसला करे, तो अभिभावक और संतान का टकराव कम हो सकता है।

ज़िन्दगी के बदलाव के साथ अगर लोग थोड़ा सा परिवर्तन लोग अपने जीवन में लाये, तो जिन्दगी बेहतर हो जाती है। 1960 के दशक में पीढ़ी अंतराल जैसे नए तथ्य रिश्तों में उजागर हुए। शोध के मुताबिक युवा पीढ़ी अपने माँ – पिता के विचारो से बिलकुल अलग निकले थे। पीढ़ी अंतराल एक दिलचस्प और रोचक कांसेप्ट है। हम सोच सकते है अगर पीढ़ियों में बदलाव ना होता, तो हमारी प्रगति और सोचने समझने की क्षमता सीमित हो जाती।

परिवारों में जनरेशन गैप की वजह से छोटे – मोटे टकराव होते रहते है। अगर जनरेशन गैप नहीं होता, तो संसार में कोई फेर बदल नहीं होता। हर क्षेत्र की प्रगति और सोचने के तरीके पीढ़ियों के सोच  के कारण बंध कर रह जाते। इसलिए जनरेशन गैप आवश्यक है।  नयी पीढ़ी नए सोच और समाज को जन्म देता है।

दुनिया में आये दिन पहनावा, फैशन का तरीका बदल रहा है। नए खोज और आविष्कार हो रहे है, क्यों कि नए पीढ़ी के सोच, तरीके और प्रक्रियाएं बदल रहे है, कुछ नया करने का जूनून बना हुआ है। इसी वजह से दुनिया में प्रौद्योगिकी और तकनीकों में काफी प्रगति हो रही है। यह सब समय के साथ पीढ़ियों में बदलाव का नतीजा है।

जेनेरशन गैप के कारण बहुत बदलाव आये है। पहले के ज़माने में लोग अक्सर संयुक्त परिवार में रहते थे, आजकल सिर्फ छोटे परिवार में लोग रहना पसंद करते है, क्यों कि उन्हें लगता है, वे आज़ाद तरीके से जी पाएंगे और कोई भी उनके जीवन में दखल अंदाज़ी नहीं कर पायेगा। आजकल लोगो अपने निजी जीवन में रहने के लिए अपने अभिभावकों से दूर रहने में ज़्यादा खुशी महसूस करते है।

पहले के ज़माने में लोगो के पास फोन नहीं हुआ करता था। मुश्किल से लोग बाहर के टेलीफोन बूथ पर जाकर परिजनों को कॉल किया करते थे। आजकल की पीढ़ी के लोग स्मार्टफोन के बैगर गुजारा नहीं कर पाते, हर मुश्किल का हल उन्हें अपने फोन और इंटरनेट पर जाकर मिलता है।

आजकल की पीढ़ी के पास अपनों के लिए ज़्यादा वक़्त नहीं है, पहले के ज़माने में यह उपकरण नहीं थे इसलिए लोग ज़्यादातर समय अपने परिवार के लोगो के साथ व्यतीत करते थे। आजकल का फैशन और पहनावे का तरीका बदल गया है। आजकल के लोग सजावट की दुनिया में खोये रहते है, पहले के ज़माने में सादगी होती थी और पारम्परिक पोशाक और आभूषण लोग पहनते थे। पहले लोग अपने मित्रो और परिजनों के साथ सुख -दुःख की बातें करते थे। मगर आज की पीढ़ी को पार्टी, पिकनिक से ज़्यादा लगाव है।

पीढ़ियों के इस अंतर को व्यक्ति समझ और स्वीकृति के साथ संभाल सकता है। एक पीढ़ी के लोग दूसरे पीढ़ी के लोगो से बहुत अलग होते हैं जो स्वाभाविक है। लेकिन, समस्या तब उत्पन्न होती है जब विभिन्न पीढ़ियों के लोग अपने विचारों और विश्वासों को दूसरे पर थोपने की कोशिश करते है और इसकी के कारण रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है।  इसलिए पुरानी पीढ़ी और नए पीढ़ी के लोग एक दूसरे के सोच और फैसलों का सम्मान करे और एक दूसरे के सोच को स्वीकार करे, तब मतभेद नहीं होगा।

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Essay on Generation Gap – जनरेशन गैप पर निबंध (100 Words)

पीढ़ी का अंतर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब दो या दो से अधिक पीढ़ियों के विचार, मूल्य और जीवनशैली परस्पर विरोधी हों। समय बीतने, तकनीकी प्रगति और बदलते सामाजिक मानदंडों के कारण यह अंतर बढ़ता जा रहा है। युवा पीढ़ी अक्सर अपने बुजुर्गों से कटा हुआ महसूस करती है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आधुनिक मुद्दों से दूर हैं। दूसरी ओर, वृद्ध लोग युवा पीढ़ी को लापरवाह और पारंपरिक मूल्यों की कमी के रूप में देख सकते हैं। यह विभाजन परिवार के सदस्यों, दोस्तों और समुदायों के बीच गलतफहमी और घर्षण को जन्म दे सकता है। सामाजिक समरसता के लिए इस अंतर को पाटना जरूरी है।

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  • Tue. Dec 17th, 2024

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जनरेशन गैप पर निबंध essay

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जनरेशन गैप पर निबंध (essay on generation gap)

प्रस्तावना.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र लगातार विकसित हो रहे हैं और यह भी लोगों, उनके विश्वासों, विचारों और उनके समग्र व्यवहार के जीवन का तरीका है। इस प्रकार विभिन्न पीढ़ियों के लोग अलग-अलग व्यवहार करते हैं और उनकी अपनी स्वयं की विचारधाराएँ हैं जिन्हें जनरेशन गैप के रूप में जाना जाता है।

कैसे   पीढ़ी   का   अंतर   स्पष्ट   है ?

विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जहाँ आजादी से पहले पैदा हुए लोगों को परंपरावादी करार दिया गया है वहीँ इसके बाद जन्में लोगों को बेबी बुमेरर्स कहा जाता है, जो 1965 और 1980 के बीच पैदा हुए उन्हें जनरेशन एक्स और 1980 से 1999 को जनरेशन वाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ कुछ ऐसी चीजें हैं जो स्पष्ट रूप से इन पीढ़ियों के बीच अंतर को दिखाती हैं। यहां उन पर एक नजर है:

  • पारिवारिक प्रणाली

पुरानी पीढ़ी से जुड़े लोग एक संयुक्त परिवार में रहते थे और वे चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल करने में विश्वास रखते थे। हालांकि समय के साथ यह विचारधारा बिगड़ती चली गई। वर्तमान पीढ़ी स्वतंत्रता चाहती है और बहुत कम लोग संयुक्त परिवार में रहने के परंपरागत तरीके का पालन करना चाहते हैं। लोगों की समग्र जीवन शैली में काफी बदलाव आया है।

  • भाषा

आजादी के पूर्व समय के लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी आज की हिंदी भाषा से काफी अलग है और यह बदलाव अचानक नहीं आया। यह बदलाव पीढ़ी दर पीढ़ी अस्तित्व में आया। प्रत्येक पीढ़ी अपनी भाषा की अलग पहचान बना लेती है। भाषा में इस परिवर्तन के कारण घर और साथ ही कार्यस्थल पर विभिन्न पीढ़ियों से संबंधित लोगों के बीच संचार कभी-कभी मुश्किल हो जाता है।

  • कार्यस्थल पर रवैया

जहाँ पिछली पीढ़ी के लोग बड़े-बुजुर्गों से दिशा-निर्देश लेने में अच्छे थे और अपने अधिकारियों के प्रति वफादार थे वहीँ इन दिनों लोग बहुत जल्दी अपने काम से ऊब जाते हैं और कुछ साल के भीतर ही अपनी नौकरी बदलने या नौकरी छोड़ने की कोशिश करते हैं। जनरेशन वाई के लोग अविष्कार करने में महारथ रखते हैं और अपने अधिकारियों से अपने स्वयं के अनूठे विचार साझा और लागू करना चाहते हैं बजाए आँख बंद करके उनके दिशा-निर्देश मानने के।

  • महिलाओं के प्रति व्यवहार

पुरानी पीढ़ियों की महिलाएं ज्यादातर घर तक ही सीमित थीं। उन्हें केवल एक दासी की तरह देखा जाता था जिसे घर का ख्याल रखना चाहिए जबकि बाहर जाकर काम करना पुरुषों का काम था। हालांकि समय बदलने के साथ महिलाओं के प्रति समाज का रवैया भी बदल गया है। आज महिलाओं को अपनी पसंद के किसी भी क्षेत्र में काम करने और पुरुषों के साथ काम करने का अधिकार है।

निष्कर्ष

एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों से काफी अलग होते हैं जो कि प्राकृतिक है। हालांकि समस्या तब पैदा होती है जब विभिन्न पीढ़ियों के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों के विचारों और विश्वासों की निंदा करते हुए अपने विचारों और विश्वासों को थोपने की कोशिश करते हैं।

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